आश्लेषा नक्षत्र में जन्मा जातक प्रत्येक कार्य में सफल होता है। आश्लेषा नक्षत्र नौवाँ नक्षत्र है। यह कर्क राशि के अंतर्गत आता है। इसके चरणानुसार नाम डी डू डे डो है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध है। इन नक्षत्र में जन्म लेने वालों को बुध व चंद्र का प्रभाव पड़ता है। बुध ज्ञान का कारक है। यह वणिक ग्रह भी माना गया है।

अश्लेषा

सूर्य के नजदीक होने से इसे प्रातः देखा जा सकता है। यह सूर्य के एक घर आगे या एक घर पीछे रहता है व सूर्य के साथ होता है। इसकी महादशा 17 वर्ष चलती है। बुध का रंग हरित होने से इसका रत्न पन्ना है। बुध प्रधान जातक सफल व्यापारी, अधिवक्ता, भाषण कला में निपुण होते हैं। ऐसे जातक बोलने में चतुर, चालाक, काम निकालने में माहिर होते हैं। बुध प्रधान जातक स्वार्थी किस्म के भी हो सकते हैं।

यह नपुंसक ग्रह होने से दूसरे ग्रहों के साथ हो तो उत्तम फलदायक होते हैं। सिंह राशि पर स्वतंत्र होकर केंद्र में हो तो भी शुभ फलदायक होते हैं। बुध जिस राशि में होगा उसका भी प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ेगा।