अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता
अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता आठ हजार श्लोकोंवाला यह महायान बौद्ध ग्रंथ प्रज्ञा की पारमिता (पराकाष्ठा) के माहात्म्य का वर्णन करता है। प्रज्ञापारमिता को मूर्त रूप में अवतरित कर उसके चमत्कार दिखाए गए हैं। इसमें ३२ परिच्छेद हैं जिनमें प्राय: गृद्धकूट पर्वत पर भगवान् बुद्ध अपने सुभूति, सारिपुत्र, पूर्ण मैत्रायणीपुत्र जैसे शिष्यों को उपदेश देते हुए उपस्थित हैं। आगे चलकर इस ग्रंथ के कई छोटै और बड़े संस्करण बने।
अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता की रचना सम्भवतः ईसापूर्व पहली शताब्दी में हुई।[1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Mäll, Linnart. Studies in the Aṣṭasāhasrikā Prajñāpāramitā and other essays. 2005. p. 96
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- The Prajnaparamita Literature Archived 2007-10-07 at the वेबैक मशीन Bibliography of the Prajnaparamita Literature
- Lotsawa House Archived 2007-09-26 at the वेबैक मशीन Translations of several Tibetan texts on the Prajnaparamita
- Dr. Yutang Lin: The Unification of Wisdom and Compassion Archived 2011-07-26 at the वेबैक मशीन
- The Ratnaguṇasaṃcaya Gāthā: condensed online translation by Neil Christopher
- MATERIALS FOR A DICTIONARY OF THE PRAJNAPARAMITA LITERATURE
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |