वेदों में प्रयुक्त एक छंद है। इसमें कुल - ६४ वर्ण होते हैं। उदाहरण - ऋग्वेद के दूसरे मंडल में ऐसा मिलता है -


त्रिकद्रुकेषु महिषो यवाशिरं तुविशिष्मस्तृप्त् सोममपिबद्विष्णुना सुतं यथावसत। सइम ममाद महिकर्म्म कर्तवे महामुरु सैनं सश्चद्देवो देवं सत्यमिन्द्रः सत्य इन्दुः।।

अक्षरों (मात्राओं) का विन्यास है - १६ +१६+ १६+ ८+ ८।