अहमद सरहिन्दी (जन्म २५ मई १५६४, देहांत १० दिसम्बर १६२४), जिन्हे पूरे औपचारिक रूप से इमाम रब्बानी शेख़ अहमद अल-फ़ारूक़ी अल-सरहिन्दी (شیخ احمد الفاروقی السرہندی) के नाम से जाना जाता है, १६वीं और १७वीं शताब्दी के एक विख्यात भारतीय सूफ़ी विद्वान थे। उनका सम्बन्ध हनफ़ी विचारधारा और नक़्शबन्दी सूफ़ी सम्प्रदाय से था। उन्होने मुग़ल सम्राट अकबर के काल में जो भारतीय इस्लाम में कई भिन्न मत पनपने आरम्भ हो गये थे उनका विरोध किया और ऐकिकरण पर ज़ोर दिया। इस कारण से कुछ इतिहासकार उन्हें भारतीय इस्लाम को विवधता-विरोध की ओर ले जाने का दोष देते हैं जबकि अन्य उन्हें कुरीतियों को रोकने का श्रेय देते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में फैली नक़्शबन्दी विचारधाराओं की मुजद्दिदी, क़ासिमिया, ताहिरी, सैफ़ी, ख़ालिदी व हक़्क़ानी शाखाएँ इन्ही की दी सोच से उभरी हैं।[1][2] इनकी दरगाह भारत के पंजाब राज्य में स्थित है और रोज़ा शरीफ़ के नाम से जानी जाती है।

आरंभिक जीवन संपादित करें

शेख अहमद सरहिंदी का जन्म २६ जून १५६४ ई. को सरहिंद के एक गाँव में असरफ परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा अधिकांशतः अपने पिता शेख ‘अब्द अल-अहद’, अपने भाई शेख मुहम्मद सादिक और शेख मुहम्मद ताहिर अल-लाहुरी से पराप्त की। आप नक़्शबन्द सिलसिले के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत बाकी बिल्लाह से मुरीद हुवे।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Glasse, Cyril, The New Encyclopedia of Islam, Altamira Press, 2001, p.432
  2. Aziz Ahmad, Studies in Islamic Culture in the Indian Environment, Oxford University Press, 1964. Friedmann, Yohannan. Shaikh Aḥmad Sirhindī: An Outline of His Thought and a Study of His Image in the Eyes of Posterity. New Delhi: Oxford University Press, 2000. Haar, J.G.J. ter. Follower and Heir of the Prophet: Shaykh Ahmad Sirhindi (1564-1624) as Mystic. Leiden: Van Het Oosters Instituut, 1992. Buehler, Arthur. Revealed Grace: The Juristic Sufism of Aḥmad Sirhindi (1564-1624). Louisville, Kentucky: Fons Vitae, 2011.