आँगन के पार द्वार
आँगन के पार द्वार (1961) हिन्दी के विख्यात साहित्यकार अज्ञेय द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसमें तीन कविताएँ संकलित की गयी हैं- 1.अन्त:सलिला, 2.चक्रांत शिला, 3.असाध्य वीणा । [1]
आँगन के पार द्वार | |
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आँगन के पार द्वार | |
लेखक | अज्ञेय |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
विषय | साहित्य |
जीवन की लघु अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने का सफल प्रयास प्रयोगवाद और नयी कविता में सर्वाधिक रूप से किया गया है। प्रयोगवादी कवियों की परिपक्वता ने 'क्षणों के महत्व' को स्वीकार किया और विशिष्ट क्षणों की अनुभूतियों को गहराई के साथ व्यजित करने पर विशेष बल दिया। देखें तो कभी-कभी हम ऐसे क्षणों को भोगते हैं, जो सामान्य क्षणों से भिन्न होते हैं। ऐसे क्षणों का सुखद एहसास कई वर्षों तक मस्तिष्क में ताजा रहता है और उस सुख की यादें हमारे तन को भिगाती रहती है। ऐसे क्षणों में हमारी मनः स्थिति जैसी होती है वैसी भविष्य में फिर नहीं होती। ऐसे ही न जाने कितने अभूतपूर्व क्षण प्रयोगवादी कवियों ने सुन्दर प्रकृति के मध्य गुजरे है। झील के निर्जन किनारों पर बिताये ए भव्य दक्षणो की अनुभूति को कवि 'अज्ञेय' कुछ इस प्रकार व्यक्त करते हैं-
"झील का निर्जन किनारा,
और वह सहसा छाये सन्नाटे का,
एक क्षण हमारा,
देसा सूर्यास्त फिर नहीं देखा"?
(आंगन के पार द्वार)
प्रयोगवाद ने बड़ी-बड़ी घटनाओं, बड़े-बड़े संघर्षों, बड़े-बड़े जीवन प्रसंगों के विशाल फलक पर इतिवृतात्मक काव्य का निर्माण नहीं किया किन्तु व्यक्ति के संघर्षो एवं विशिष्ट क्षणों की अनुभूतियों को गहराई के साथ व्यंजित करने पर विशेष बल दिया है। क्षणों के महत्त्व की यह अनुभूति साहित्य को सार्वभौमिक भले ही न बना सके, जीवन की समग्रता, सम्पूर्णता तथा सामायिकता को शायद क्षणों की सम्पूर्णता से न तोला जा सके, किन्तु अज्ञेव का 'कोतुक-मन बाल क्षण' जीवन-मरण के परे है, वह तो काल तक की दुर्दह गदा को तौलने का साहस रखता है-
काल की दुर्वह गदा को-एक कौतुक भरा क्षण तोलता है"।
(आंगन के पार द्वारा) कवि के काव्य में सत्यान्वेषण कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। इसी अनवरत अध्ययन के कारण कवि ने लिखा है-
"आंगन के पार द्वार
द्वार के पार आँगन
और फिर द्वार।"। (आँगन के पार द्वार)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp. अभिगमन तिथि: 11 सितंबर 2016.
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