आंचलिक कथा
अर्थ
आंचलिक कथा यह दोनों शब्द कुछ इस प्रकार बने है : अंचल+इक और कथा | अंचल’ किसी निश्चित भू-भाग को कहते हैं। अंचल में इक जुड़ने से इसका अर्थ अंचल से संबंधित हो जाता है| कथा अर्थात् कहानी| किसी अंचल यानी निश्चित भू भाग निवासियों का रहन-सहन, वेशभूषा, रीति-रिवाज तथा लोक-संस्कृति को जिस कथा में दर्शाया गया हो उसे आंचलिक कथा कहते है |इसमें रचनाशीलता का नया आग्रह एवं लोकधर्मी भाषा, बोलियों-उपबोलियों की भी विविध भंगिमाएँ निहित होती है।
अलग अलग बुद्धिजीवियों ने आंचलिक कथा और उपन्यास की अलग अलग परिभाषाएं दी है | उनमें से कुछ निम्न है : –
डॉ विश्वंभर नाथ उपाध्यायके शब्दों में, ’’आंचलिक उपन्यास उन उपन्यासों को कहते हैं, जिनमें किसी विशेष जनपद, अंचल-क्षेत्र के जन-जीवन का समग्र चित्रण होता है।’’
डाॅ. देवराज उपाध्याय के अनुसार, ’’ आंचलिक उपन्यास के लेखक देश के किसी विशेष भू-भाग पर ध्यान केन्द्रित करके उसके जीवन को इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि पाठक उसकी अनन्य विशेषताओं, विशिष्ट व्यक्तित्व, रीति-परम्पराओं तथा जीवन-विधा के प्रति सचते व आकृष्ट हो जाता है।’’
डाॅ रामदरश मिश्र. के शब्दों में, ’’आंचलिक उपन्यास तो अंचल के समग्र जीवन का उपन्यास है। उसका सम्बन्ध जनपद से होता है ऐसा नहीं, वह जनपद की ही कथा है।’’
डाॅ. हरदयाल के अनुसार, ’’आंचलिक उपन्यास वह है, जिसमें अपरिचित भूमियों और अज्ञात जातियों के वैविध्यपूर्ण जीवन का चित्रण हो। जिसमें वहाँ की भाषा, लोकोक्ति, लोक-कथायें, लोक-गीत, मुहावरे और लहजा, वेशभूषा, धर्म-जीवन, समाज, संस्कृति तथा के अनुसार, ’’उपन्यासों में लोकरंगों के उभारकर किसी अंचल विशेष का प्रतिनिधित्व करने वाले उपन्यासों को आंचलिक उपन्यास कहा जायेगा।’’
आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी के अनुसार, ’’आंचलिक उपन्यास वे हैं, जिनमें अविकसित अंचल विशेष के आदिवासियों अथवा आदिम जातियों का विशेष रूप से चित्रण किया गया हो।’’
इतिहास
आंचलिकता का उदय एक विशेष आंदोलन द्वारा हुआ है। यह आंदोलन विश्व साहित्य से सम्बन्धित है। डेनियल हाफमैन का इस सम्बन्ध में मत है कि संसारव्यापी रोमांटिक आंदोलन की अभिव्यक्ति है। इस कारण उन सब राष्ट्रों के साहित्य में, जो इस आंदोलन से प्रभावित रहे थे, इसके दर्शन हो जाते है।
इस आंदोलन के प्रभावस्वरूप ही पाश्चात्य देशों में ऐसे उपन्यासों का विकास हुआ जिनमें प्रकृति के निश्छल एवं उन्मुक्त वातावरण का चित्रण प्राप्त होता है। पश्चिम में मेरिया एजवर्थ, सर वाल्टर स्काॅट एवं थामस हाॅर्डी ने 19 वीं शताब्दी में आंचलिक उपन्यासों की शुरुआत की।
इस प्रकार उन उपन्यासों की प्रगति की दिशा में एक नया मार्ग खोला। अमरीकी उपन्यासकारों में मार्क ट्वेन एवं अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने भी आंचलिक उपन्यासों और कथाओं का लेखन करके उसके विकास में योगदान दिया। इस प्रकार यह ज्ञात होता है कि आंचलिक प्रवृत्ति ने साहित्य को रूढ़िमुक्त कर स्वच्छन्द वातावरण में विकसित होने के अवसर प्रदान किया।
हिन्दी भाषा के क्षेत्र में आंचलिक प्रवृत्ति के कथा एवं उपन्यास आधुनिकतम प्रवृत्ति के रूप में मान्य है | हिंदी कथाओं एवं उपन्यासों में आंचालिकता लाने का श्रेय लेखक फणीश्वर नाथ रेणु को जाता है |कालान्तर में हम देखते है कि फणीश्वरनाथ रेणु को आंचलिकता का पर्याय मान लिया जाता है | इनके सर्वप्रथम उपन्यास ‘ मैला आंचल ’ में स्पष्ट देखने को मिलता है |
अभी हिंदी में शुद्ध आंचलिक उपन्यास काम ही लिखे जाते है , परंतु जो लिखे गए है उसमें जनवादी चेतना अभिव्यक्त हुई है | हिंदी के प्रमुख आंचलिक उपन्यासकार-नागार्जुन,फणीश्वरनाथ रेणु,देवेंद्र सत्यार्थी, शैलेश मटियानी,रामदरश मिश्र,राही मासूम रज़ा आदि है |
लेखक
मिलन राज 🙏🏻