किसी व्यक्ति, दल (पार्टी) या संगठन के लिये निर्धारित सामाजिक व्यवहार, नियम एवं उत्तरदायित्वों के समूह को आचरण संहिता (code of conduct) कहते हैं।

कुछ उदाहरण

केन्‍द्रीय सिविल सेवाएं (आचरण) नियमावली, 1964 संपादित करें

के सन्‍थानम की अध्‍यक्षता में गठित भ्रष्‍टाचार निरोधक समिति की सिफारिशों के आधार पर लोक सेवाओं में सत्‍यनिष्‍ठा बनाए रखने की दृष्टि से सरकारी कर्मचारियों के आचरण नियमों को संशोधित किया गया और केन्‍द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आचार संहिता बनाते हुए केन्‍द्रीय सिविल सेवाएं (आचरण) नियमावली, 1964 अधिसूचित की गई थी। केन्‍द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 का द्विभाषिक संस्‍करण 1986 में प्रकाशित किया गया था और तब से अब तक इसका कोई संस्‍करण प्रकाशित नहीं हुआ है। इसी बीच नियमों के कई उपबंध संशोधित किए गए हैं और अनेक स्‍पष्‍टीकरण भी जारी किए गए हैं।

भारत में लोकसेवकों से सम्बंधित आचार-नियम

भारत में लोकसेवकों से सम्बंधित आचरण नियम निम्नलिखित हैं :-

  • 1. लोक सेवकों को हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करनी चाहिए।
  • 2. उन्हें किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेना चाहिए।
  • 3. लोक सेवकों को किसी ऐसे दल का सदस्य नहीं बनना चाहिए जो राजनीति में भाग लेता हो।
  • 4. उन्हें राजनीतिक उद्देश्य से संकलित किये जाने वाले किसी कोष में कोई धनराशि नहीं देनी चाहिए।
  • 5. उन्हें सार्वजनिक रूप से सरकार की आलोचना नहीं करनी चाहिए और उन्हें अपने कर्तव्यों के अतिरिक्त प्रेस या रेडियो से संपर्क नहीं रखना चाहिए।
  • 6. उपहार ग्रहण करने के सन्दर्भ में यह नियम है कि यदि विवाह, जन्मदिवस, या किसी धार्मिक उत्सव में किसी लोकसेवक को सौ रूपये से अधिक मूल्य की कोई भेंट प्राप्त हो तो इसका विवरण शीघ्र सरकार को देना चाहिए।
  • 7. कोई लोकसेवक किसी प्रकार की सट्टेबाजी नहीं कर सकता है और न ही उसकी पत्नी या परिवार के कोई सदस्य इस प्रकार का कोई काम कर सकते हैं।
  • 8. कोई भी लोकसेवक अपने विभाग में अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार को नियुक्त नहीं कर सकता है।
  • 9. कोई भी लोक सेवक पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह नहीं कर सकता है, हालाँकि संतान न होने की स्थिति में वह ऐसा कर सकता है किन्तु इसके लिए उसे सरकार से लिखित स्वीकृति लेनी होगी।
  • 10. सरकारी सेवा में नियुक्ति के समय लोक सेवक को अपनी सम्पूर्ण अचल संपत्ति की सूची सरकार को देनी है। साथ ही प्रतिवर्ष प्राप्त की जाने वाली संपत्ति की सुचना भी सरकार को देना अनिवार्य है।
  • 11. लोक सेवक को अपने व्यक्तिगत जीवन में किसी भी धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता है, किन्तु उसे सामान्य जनता में इस तरह का आचरण करना चाहिए जिससे ये न लगे कि वह राज्य के पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत के विरुद्ध है।
  • 12. केंद्रीय लोक सेवा आचरण नियम के अनुसार लोक सेवक किसी प्राइवेट कंपनी या संगठन द्वारा आयोजित किसी प्रतियोगिता या सामाजिक समारोह में भाग न ले जिसका मुख्य उद्देश्य उनके व्यापार को बढ़ावा देना है
  • 13. कोई भी लोक सेवक शासन की पूर्व स्वीकृति के बिना प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी व्यापार या व्यवसाय में किसी प्रकार से भाग नहीं ले सकता है
  • 14. यदि कोई लोक सेवक किसी व्यक्ति से ऐसी धनराशि, जो विधिक पारिश्रमिक के अतिरिक्त होती है, किसी उद्देश्य या पुरस्कार के लिए स्वीकार करता है तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 161 के तहत दंडनीय होगा।

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 19 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  2. "Code of Merit". मूल से 22 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  4. "Madrid Declaration on Ethical Standards for Psychiatric Practice - World Psychiatric Association". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  5. Bquadrats - Josi Swerts. "EFPA Ethics - Board of Ethics". मूल से 27 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
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  7. "Django Code of Conduct". मूल से 2 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  8. "SRA - SRA Handbook - Code of Conduct - SRA Code of Conduct 2011 - Solicitors Regulation Authority". मूल से 27 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  9. "SRA - SRA Handbook - Code of Conduct - SRA Code of Conduct 2011 - Solicitors Regulation Authority". मूल से 27 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  10. Vienna Convention on Diplomatic Relations