आणुविक स्व-संयोजन प्रणालियों के निर्माण की वह प्रक्रिया है, जिसमें उस प्रणाली के बाहर से संयोजन में किसी प्रकार का सहयोग या संचालन नहीं किया जाता।

किसी भी प्रणाली या यंत्र को बनाने की प्रक्रिया यदि वह प्रणाली खुद ही जान ले, तो वह अपने ही नकशे पर प्रतिलिपिकरण कर सकती है। आणुविक स्तर पर कोशिकाओं के अन्दर डी एन ए के नकशे की बदोलत सम्पूर्ण कोशिका का स्व-संयोजन हो जाता है। न सिर्फ यह, शरीर के लिये महत्वपूर्ण प्रोटीन का निर्माण भी यूँ ही होता है।

foldamer का आणुविक स्व-संयोजन, जा़न-मारी लैह्न और साथियों द्वारा प्रतिवेदित (Helv. Chim. Acta., 2003, 86, 1598-1624.)

इस प्राकृतिक प्रतिभास का प्रयोग यदि जान लिया जाये, तो आणुविक पैमाना पर यंत्र बनाये जा सकेंगे। इन प्रणालियों पर अध्ययन शुरू हुआ नैनोतकनीकी जैसे शास्त्रों के विकास से। गैर सह-संयुज बोन्डिंग से दिष्ट आणुविक संयोजन किया जा सकता है। विशाल अणुकण के निर्माण इस ही तरह से होता है।