पम्प कन्नड के आदिकवि हैं। इनका समय सन् 941 के लगभग माना जाता है। कन्नड साहित्य में उनका काल 'पम्प युग' कहलाता है और इसे कन्नड साहित्य का 'स्वर्णयुग' माना जाता है। पम्प युग के तीन कवियों (पम्प, पोन्न तथा रन्न) को सम्मिलित रूप से रत्नत्रयी' कहा जाता है।

आदि पम्प ने दो काव्य रचे–"आदिपुराण" और "विक्रमार्जुनविजय" अथवा "पंपभारत"। आदिपुराण में जिनसेनाचार्यकृत संस्कृत पूर्वपुराण के आधार पर प्रथम तीर्थंकर वृषभनाथ का जीवनचरित चित्रित किया गया है और "विक्रमार्जुनविजय" में महाभारत के कथानक का निरूपण किया गया है। ये दोनों चंपूकाव्य हैं।