आदि बद्री (उत्तराखंड)
आदि बद्री हल्द्वानी मार्ग पर कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर दूर तथा चांदपुर गढ़ी से 3 किलोमीटर दूर है।[1] इसका निकटवर्ती तीर्थ है कर्णप्रयाग। चांदपुर गढ़ी से 3 किलोमीटर आगे जाने पर आपके सम्मुख अचानक प्राचीन मंदिर का एक समूह आता है जो सड़क की दांयी ओर स्थित है। किंबदंती है कि इन मंदिरों का निर्माण स्वर्गारोहिणी पथ पर उत्तराखंड आये पांडवों द्वारा किया गया। यह भी कहा जाता है कि इसका निर्माण 8वीं सदी में शंकराचार्य द्वारा हुआ। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षणानुसार के अनुसार इनका निर्माण 8वीं से 11वीं सदी के बीच कत्यूरी राजाओं द्वारा किया गया। कुछ वर्षों से इन मंदिरों की देखभाल भारतीय पुरातात्विक के सर्वेक्षणाधीन है।
मूलरूप से इस समूह में 16 मंदिर थे, जिनमें 14 अभी बचे हैं।[2] प्रमुख मंदिर भगवान विष्णु का है जिसकी पहचान इसका बड़ा आकार तथा एक ऊंचे मंच पर निर्मित होना है। एक सुंदर एक मीटर ऊंचे काली शालीग्राम की प्रतिमा भगवान की है जो अपने चतुर्भुज रूप में खड़े हैं तथा गर्भगृह के अंदर स्थित हैं। आदि बद्री मंदिर के कपाट पौष माह के लिए बंद किये जाते है तथा मंदिर के कपाट मकर संक्रांति के दिन खोले जाते है।[3][4]
इसके सम्मुख एक छोटा मंदिर भगवान विष्णु की सवारी गरूड़ को समर्पित है। समूह के अन्य मंदिर अन्य देवी-देवताओं यथा सत्यनारयण, लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, चकभान, कुबेर (मूर्ति विहीन), राम-लक्ष्मण-सीता, काली, भगवान शिव, गौरी, शंकर एवं हनुमान को समर्पित हैं। इन प्रस्तर मंदिरों पर गहन एवं विस्तृत नक्काशी है तथा प्रत्येक मंदिर पर नक्काशी का भाव उस मंदिर के लिये विशिष्ट तथा अन्य से अलग भी है।
यहां अब भी पूजा होती है तथा विष्णु मंदिर की देखभाल चक्रदत्त थपलियाल करते हैं जो पास ही थापली गांव के रहने वाले हैं।थापली गांव के ब्राह्मण पिछले करीब सात सौ वर्षों से इस मंदिर के पुजारी हैं।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Ganga, A. B. P. (26 मार्च 2023). "उत्तराखंड: पांडवों ने कराया था 16 मंदिरों का निर्माण, अब बचे 14, तस्वीरों में देखिए ये खास जगह". www.abplive.com.
- ↑ "3 युगों तक यहीं रहे थे भगवान विष्णु, कलयुग शुरू होते ही चले गए थे बद्रीनाथ धाम". News18 हिंदी. 18 सितम्बर 2021.
- ↑ "खुल गए बद्रीनाथ के कपाट, भारी बर्फबारी के बीच श्रद्धालुओं ने लगाए जयकारे". Jansatta. 27 अप्रैल 2023.
- ↑ "Adi Badri Mandir: जयकारों के साथ पौष माह के लिए आदिबदरी मंदिर के कपाट बंद, अब मकर संक्रांति को खुलेंगे". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 26 जुलाई 2023.