आभ्यंतर सम्बंध
आभ्यंतर सम्बंध एक अंतर्वैयक्तिक सम्बंध है जिसमें शारिरिक या भावनात्मक अंतरंगता शामिल होती है। शारिरिक अंतरंगता की विशेषताओं में मित्रता, अफ़लातूनी स्नेह, रूमानी स्नेह या मानव संभोग हो सकते हैं। हालाँकि "आभ्यंतर सम्बंध" के प्रयोग में आम तौर से "यौन सम्बंध" शामिल होता है, इसका मंगलभाषित प्रयोग किसी ऐसे सम्बंध के लिए ही होता है तो संभोग पर ही आधारित हो।
अभ्यंतर सम्बंध समस्त रूप से मानव अनुभव पर एक केन्द्रीय भूमिका निभाते हैं।[1] मानव स्वभाव में आम तौर से किसी से जुड़ना और प्यार करना है, जो साधारण रूप से अभ्यंतर सम्बंध के दायरे में संतुष्ट होता है। [2] इस सम्बंध में किसी को चाहने या प्यार करने, रूमानी स्नेह, शारिरिक या यौन आकर्षण, यौन सम्बंध, या सदस्यों के बीच भावनात्मक और निजी सहायता है।[1] अभ्यंतर सम्बंध एक जालक्रम बनाने में सहायक हो सकता है जिससे मज़बूत भावनात्मक लगाव संभव है। [1]