आरंग
आरंग (Arang) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर ज़िले में स्थित एक नगर पालिका परिषद है। यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग ५३ गुज़रता है।[1][2]
आरंग Arang | |
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प्राचीन आरंग जैन मंदिर | |
निर्देशांक: 21°11′53″N 81°57′11″E / 21.198°N 81.953°Eनिर्देशांक: 21°11′53″N 81°57′11″E / 21.198°N 81.953°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | छत्तीसगढ़ |
ज़िला | रायपुर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 19,091 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, छत्तीसगढ़ी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंयह रायपुर शहर की पूर्वी सीमा महानदी के तट के पास स्थित एक कस्बा है। आरंग एक प्राचीन शहर है, जिसे छत्तीसगढ़ का "मंदिरों का शहर" भी कहा जाता है, जिस पर हैहयस राजपूत वंश का शासन था। आरंग कई जैन और हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है मंदिर जो ११वीं और १२वीं शताब्दी के हैं; यहाँ मांड देवल, जैन मंदिर, महामाया मंदिर, पंचमुखी मंदिर, बागेश्वर नाथ मंदिर, जोबा महदेवा, चंडी मंदिर और हनुमान मंदिर। गुप्त साम्राज्य को दिनांकित एक तांबे की प्लेट शिलालेख के पुरातात्विक खोजों के कारण, राजरसीतुल्य के कबीले के भीमसेन द्वितीय के आरंग प्लेट के रूप में जाना जाता है, ने शहर के प्राचीन इतिहास को एक हिंदू और जैन धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किया है, जो उस समय शासन के अधीन था। हिंदू राजाओं की। मांड देवल जैन मंदिर ११वीं शताब्दी के इन मंदिरों में सबसे प्राचीन है जहां गर्भगृह में दिगंबर तीर्थंकरों की तीन विशाल प्रतिमाएं विराजमान हैं; ये काले पत्थर में उकेरे गए हैं और पॉलिश किए गए हैं। यहाँ आज भी पुरातात्विक मूर्ति मिलती है। आरंग अपने तलाबों के लिए भी जाना जाता है । आरंग एक शांत शहर है यहाँ त्योहारों में काफी अच्छा महौल रहता है खास कर गणेश चतुर्थी और नवरात्री का जुलूस फ़ेमस है।
महानदी के तट पर स्थित आरंग एक प्राचीन, पौराणिक तथा ऐतिहासिक नगरी है। प्राचीन काल में यहाँ पर कलचुरी नरेश मोरध्वज का राज्य था। मोरध्वज का एक ही पुत्र ताम्रध्वज था जिसे श्री कृष्ण ने मोरध्वज को आरा से चीरने का आदेश दिया था। इसीलिये इस नगरी का नाम आरंग पड़ा। रायपुर जिले में सिरपुर तथा राजिम के बीच महानदी के किनारे बसे इस छोटे से नगर को मंदिरों की नगरी कहते हैं। यहां के प्रमुख मंदिरों में 11वीं-12वीं सदी में बना भांडदेवल मंदिर है। यह एक जैन मंदिर है। इसके गर्भगृह में तीन तीर्थकरों की काले ग्रेनाइट की प्रतिमाएं हैं। महामाया मंदिर में 24 तीर्थकरों की दर्शनीय प्रतिमाएं हैं। बाग देवल, पंचमुखी महादेव, पंचमुखी हनुमान तथा दंतेश्वरी देवी मंदिर यहां के अन्य मंदिर हैं जो दर्शनीय हैं।[3]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord - Madhya Pradesh et Chhattisgarh," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Pratiyogita Darpan," July 2007
- ↑ http://in.jagran.yahoo.com/sakhi/?edition=200801&category=41