आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन

आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (अंग्रेजी में Arthritis Care Foundation) भारत में संधि शोथ (आर्थराइटिस) एवं संबंधित रोगों की चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत संगठन है। आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन आर्थराइटिस के बारे में जागरूकता कायम करने, आर्थराइटिस के मरीजों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने तथा आर्थराइटिस के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत भारतीय स्वैच्छिक संगठन है। इसकी स्थापना 2004 में हुई तथा इसे 20 जनवरी 2005 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1980 के तहत पंजीकृत किया गया। [1]

उद्देश्य एवं कार्य संपादित करें

आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन परिवार के स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों को लेकर दिल्ली, ग्वालियर और देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहा है। यह संस्था आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस और अन्य संबंधित रोगों के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए विभिन्न तरह की गतिविधियों का आयोजन करता है। आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन ने देश के विभिन्न स्थानों पर अनेक जन जागरूकता अभियानों, जागरूकता व्याख्यानों, बीएमडी कैम्पों, चिकित्सा परामर्श शिविरों, सम्मेलनों तथा अध्ययन अनुसंधान किए हैं। इस संस्था ने देश के विभिन्न शहरों तथा दक्षेस देशों में कार्यालय एवं शाखाएं खोलने की योजना बनाई है। [2]

पदाधिकारी संपादित करें

इस संगठन से चिकित्सक, अस्थि रोग विशेषज्ञ, फिजियोथिरेपिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता जुड़े हैं जो आर्थराइटिस रोगों और उनके इलाज के बारे में देश में जागरूकता कायम करने के लिए काम कर रहे हैं। इस संगठन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य हैं जो नई दिल्ली के इंद्रपस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट संर्जन हैं। इसके सचिव विनोद विप्लव[3] हैं जो स्वास्थ्य विषयों के ​लेखक हैं तथा कोषाध्यक्ष श्री अमित टुटेजा हैं।

अध्ययन कार्य संपादित करें

आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन ने दिल्ली के अनेक इलाकों - सुखदेव विहार, ईश्वर नगर, सरिता विहार, जसोला, कालकाजी, ईस्ट ऑफ कैलाश, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, महारानी बाग, लाजपत नगर, निजामुद्दीन और मयूर विहार जैसे इलाकों में रहने वाले मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों के बीच ओस्टियोपोरोसिस बीमारी के प्रसार के बारे में अध्ययन किया।[4] इस अध्ययन की रिपोर्ट इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) के मार्च, 2018 संस्करण में प्रकाशित हुई। [5]अक्तूबर 2012 से लेकर मार्च 2013 के दौरान किए गए अध्ययन से पाया गया कि शहरों में रहने वाले लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस की दर अधिक है। यह अध्ययन 38 से 68 साल के पुरुषों और महिलाओं पर किया गया। इस अध्ययन के तहत सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम (कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम) का आयोजन किया गया। इस अध्ययन के लिए मध्य और पूर्वी दिल्ली में कुल चौदह शिविर आयोजित किए गए और शिविर में आने वाले हर तीसरे व्यक्ति को इस अध्ययन में शामिल किया गया। [6]

संदर्भ सूची संपादित करें

  1. "Arthritis Care Foundation Ngo Information". www.indiangoslist.com. मूल से 27 जनवरी 2019 को पुरालेखित.
  2. "Arthritis Care Foundation in New Delhi". indiangoslist.com. मूल से 27 जनवरी 2019 को पुरालेखित.
  3. "विनोद विप्लव". http://www.hindisamay.com/. मूल से 27 जनवरी 2019 को पुरालेखित. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  4. "Bone identity: City not in fine frame". times of india. मूल से 27 जनवरी 2019 को पुरालेखित.
  5. "Assessment of osteoporotic fracture risk in urban Indian population using quantitative ultrasonography & FRAX tool". www.ijmr.org.in. मूल से 27 जनवरी 2019 को पुरालेखित.
  6. "Urban indians have brittle bones : says-study". www.thehindu.com.