आलोट
आलोट (Alot) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]। आलोट को राजा आलिया भील ने बसाया था और उन्ही के नाम के आधार पर इस नगर का नामकरण आलोट रखा गया[3], उनके द्वारा बनवाए महल व मंदिर के अवशेष अभी भी है।
आलोट Alot | |
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अनादि कल्पेश्वर महादेव मन्दिर में हनुमान के पदचिन्ह | |
निर्देशांक: 23°45′43″N 75°33′36″E / 23.762°N 75.560°Eनिर्देशांक: 23°45′43″N 75°33′36″E / 23.762°N 75.560°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
ज़िला | रतलाम ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 24,115 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंआलोट एक तहसील रतलाम जिले का एक छोटा शहर है;ऐसी किव्यदन्ति हैं कि आलोट नगर उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के राज्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है तथा राजस्थान के करीब होकर उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश का सीमावर्ती शहर है। आलोट के समीप 8 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान में श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैनतीर्थ के लिए आलोट शहर पश्चिम रेलवे ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का मुख्य स्टेशन है; भगवान नागेश्वर पार्श्वनाथ के दर्शन के लिए जैन तीर्थ यात्री प्रतिदिन वहाँ जाते हैं। आलोट के नजदीक एक छोटा सा गाँव, विक्रमगढ़ भी आलोट का हिस्सा बन गया है। जिसके कारण आलोट का पूरा नाम विक्रमगढ़ आलोट हो गया। आलोट के प्रमुख दर्शनीय स्थल श्री अनादि कल्पेश्वर महादेव मंदिर ग्राम धरोला तथा श्री रामसिंह दरबार मंदिर हैं,जो की आलोट से लगभग 2-2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
आलोट शहर के प्राचीन दार्शनिक शिव मंदिर अनादिकल्पेश्वर महादेव मंदिर जो कनक पर्वत की गोद में बसा है आलोट की एक ऐतिहासिक विरासत हैं,जीर्णोद्धार के पूर्व इस शिव मंदिर में अति प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग था जो वर्ष में 6 माह जलाधारी के बाहरी व 6 माह जलाधारी के अंदर हुआ करता था। ओर आलोट नगर के रहवासियों ने यह नजारा स्वयं अपने ऑखो से देखा हैं। प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग के अलावा मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग तथा भगवान दत्तात्रेय का मंदिर आदि कई देवी-देवताओं के छोटे बड़े मंदिर तथा एक रंग महल भी थे । मंदिर परिसर में एक कुँआ भी था जिसमें दो गोमुखी स्थापित थी उस गोमुखी से दिन-रात जल बहता था, मंदिर के पास कलेवर कुंड था कहा जाता है कि कलेवर कुंड में दूध जैसा जल भरा रहता था तथा कनक पर्वत में एक गुफा भी है। एसी किवदन्ती है कि यह गुफा उज्जैन तक जाती है जिस मार्ग से उज्जैन के न्यायप्रिय एवं तपस्वी महाराजा विक्रमादित्य इस प्राचीन चमत्कारी स्थान पर अपनी एकांत गुप्त तप साधना करने के लिए आते जाते थे। इस प्रकार यह मंदिर आज भी आलोट शहर की ऐतिहासिकता को कायम रखता हैं। प्रतिवर्ष वैशाखी पूर्णिमा पर अनादि कल्पेश्वर महादेव मंदिर पर 15 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। आलोट के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले मुख्य त्योहार दिवाली, होली, रक्षाबंधन, ईद, नवरात्रि, दशहरा और गणेश चतुर्थी है।[4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
- ↑ Luard C. E.captain (1908). Central India State Gazetteer Series Malwa Vol-v Part-a.
- ↑ "Places of Devotion and of Tourist Interest". District Administration. मूल से 11 एप्रिल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 एप्रिल 2010.