आवत डालनी , (पंजाबी: ਆਵਤ ਪਾਉਣੀ, आवत पाओनी) किसानों व खेत मजदूरों के ऐसे समूह को कहा जाता है जो सम्मिलित रूप में फ़सल की कटाई करते हैं। [1] यह परंपरा अधिकतर वैसाखी के मौके पर अपनाई जाती है। आवत का अभिप्राय है "कहीं आना या बिन बुलाए आना"। पंजाब में खेती के मशीनीकरण से पहले बड़े ज़मींदार रिश्तेदारों या दोस्तों की मदद से फ़सल की कटाई करते। इसे ही आवत डालनी कहा जाता था [2] इस में खेत और मजदूर भी शामिल होते थे [3] इनकी मेहमानों की तरह सेवा की जाती थी और घी-शक्कर, हलवा और सेवइयां आदि के पकवान परोसे जाते थे। इस समय सिर्फ फसल की कटाई काम ही नहीं किया जाता था बल्कि हर्षो उलास से मनोरंजन भी किया जाता था, ढोल बजता था ,लोकगीत और बोलीयां डाली जाती थी।

गेंहू की फसल की कटाई
ढोल

आवत आम तौर पर उन किसानों की तरफ से डलवाई जाती थी जिन की ज्यादा जमीन होती थी या खेती करने वाले मर्द या पशू किसे बीमारी आदि करण मर जाते थे।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Alop ho riha Punjabi virsa, Harkesh Singh Kehal, Unistar Book PVT Ltd., ISBN 81-7142-869-X
  2. "Glossary" (PDF). Shodhganga,inflibnet.ac.in. मूल से 1 जनवरी 2015 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 18 February 2015.
  3. "Chapter V : Gender and wor : Analysis" (PDF). Shodhganga.inflibnet.ac.in. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 18 February 2015.