आसक्ति का अर्थ है किसी वस्तु के प्रति विशेष रुचि होना।

“किसी विषय के प्रति इतना डूब जाना कि उसी विषय का चिंतन करना, उसी के प्रति कामनायें करना और यदि कामनाओं में बाधा आयें तो क्रोध का तत्क्षण आगमन हों जाना” उस विषय के प्रति आसक्ति का सूचक है ।

“विषय:- व्यक्ति,वस्तु,स्थान,गुण,भाव आदि”

तथ्य:- १.मन जिस विषय का चिंतन करता है तत्क्षण विषयाकार हो जाता हैं! २. फिर विषयाकार मन से बार-बार उसी विषय का चिंतन होता हैं! ३. बार-बार चिंतन होने से मनुष्य का उस विषय में आसक्ति और मोह उत्पन्न हो जाता हैं! ४. आसक्ति से कामनाओं का जन्म होता हैं! ५. कामनाओं में विघ्न पड़ने पर क्रोध की उत्पत्ति होती हैं! ६. क्रोध से अविवेक और मूढ़भाव का जन्म होता हैं! ७. अविवेक से स्मरणशक्ति भ्रमित होती हैं! ८. स्मरणशक्ति भ्रमित होने से बुद्धि का नाश होता है! ९. बुद्धि का नाश होने से व्यक्ति अपने श्रेय साधन से गिर जाता है!


उपाय :- १. व्यर्थ चेष्टाओं से बचे! २. अनुभव करे कि केवल आत्मा ही परम सत्य और ईश्वर स्वरूप हैं उसमें अनंत,असीम,अरिक्त आनंद का पुँज़ हैं बाक़ी सब विषय मिथ्या है ३.और मिथ्या विषयों में डूबा नहीं जाता ।

उदाहरण संपादित करें

  • चिन्ता का मूल आसक्ति है।
  • आसक्ति के कारण हम विषयों के अधीन हो जाते हैं।
  • ऋषि-मुनियों या संत-संन्यासियों की सांसारिक पदार्थों में आसक्ति नहीं होती।
  • राम सम्राट के बेटे हैं, किन्तु महल-अटारी से उन्हें कोई आसक्ति नहीं।
  • जो मूर्ख मनुष्य सुन्दर रूप के प्रति तीव्र आसक्ति रखता है, वह अकाल में ही नष्ट हो जाता है।

मूल संपादित करें

  • आसक्ति मूलतः संस्कृत का शब्द है।

अन्य अर्थ संपादित करें

  • लगाव
  • चाह
  • स्नेह
  • प्रेम
  • अनुरक्ति
  • मोह
  • आसंग
  • अनुराग
  • प्रेम

संबंधित शब्द संपादित करें

  • आसक्त
  • अनासक्ति

हिंदी में संपादित करें

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अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द संपादित करें