भविष्य पुराण में जगतपिता ब्रह्मा के अनुसार विवाह आठ प्रकार के होते हैं आसुर विवाह के विषय में श्री ब्रह्मा जी कहते हैं। यदि कन्या के पिता आदि को साथ ही साथ कन्या को भी यथाशक्ति धन आदि देकर स्वच्छंदता पूर्वक कन्या का ग्रहण करना "आसुर विवाह" कहलाता है।

जय पाण्डेय