आहारीय ताम्र कई एन्जाइमों में पाया जाता है। विष का प्रभाव कम करने और संक्रामक रोगों में इसका सेवन किया जाता है। तांबा ग्रहण करने से लौह विटामिन-सी तथा आहारीय जस्ता को पचाने में मदद मिलती है। लाल रक्त कणिकाएं ताम्र के बिना नहीं बन पातीं हैं। शरीर में इसकी कमी से व्यक्ति एनीमिक (खून की कमी से ग्रस्त) हो सकता है।

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इसे दो मिलीग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। जैतून और गिरीदार फ़ल में यह पाया जाता है। आहार के सिवाय दूसरे माध्यमों से ताम्र मिलता रहता है। जैसे तांबे के बरतनों, पानी के पाइपो, दवाओं खाघं-प्रसंस्करणों (फ़ूड प्रोसेसिंग), सुंगधियों और फ़सलों पर छिडकी जानेवाली दवाओं आदि से।