इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड

इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड, भारी उद्योग विभाग (भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय) के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम है और टर्नकी परियोजना प्रबंधन और परियोजना निर्यात के क्षेत्र में मार्ग-दर्शक रही है। अपने 41वें वषों से अधिक के कार्यकाल में ईपीआई ने विविध क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की है। जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं -

  • सिविल एवं संरचनात्मक कार्य
  • सामग्री प्रबंधन प्रणाली
  • धातुकार्मिकी क्षेत्र
  • प्रकि्रया संयंत्र
  • पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण
  • तेल एवं पैट्रो रसायन
  • रक्षा संबंधित परियोजनाएं
  • संचार लाइनें/सब स्टेशन इत्यादि

कंपनी द्वारा प्रदत्त सेवाओं में विविध विशेषज्ञता कार्य-कलाप सम्मिलित हैं, जैसे किः-

  • सम्भाव्यता अध्ययन
  • विस्तृत परियोजना रिपोर्ट
  • डिज़ाइन व इंजीनियरी
  • संयंत्र व उपस्कर आपूर्ति
  • गुणवत्ता आश्वासन
  • सिविल एवं संरचनात्मक कार्य
  • इरैक्शन ट्रायल-रन्स एवं कमीशनिंग
  • पर्यवेक्षकों तथा प्रचालकों का प्रशिक्षण
  • प्रचालन व अनुरक्षण
  • समग्र परियोजना प्रबंधन

ईपीआई ने भारतवर्ष में 5608.03 करोड़ रु. मूल्य की 475 से अधिक परियोजनाओं तथा भारत से बाहर 782 मिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य की 30 परियोजनाओं को सफलता पूर्वक पूरा किया है। वर्ष 2010-11 की अवधि में ईपीआई ने 1103.69 करोड़ रु. का कारोबार किया और 1411.48 करोड़ रु. मूल्य की परियोजनाएं प्राप्त कीं।

ईपीआई ने पिछले कुछ वषों के दौरान समझौता ज्ञापन लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में अपने कार्य निष्पादन के लिए और परियोजना कार्य निष्पादन के लिए भी कई पारितोषिक प्राप्त किए हैं।

ईपीआई एक आधुनिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टिकोण वाली कंपनी है और अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति भी पूर्णतः जागरू क है। यह देश में पहली उन कुछ कंपनियों में से एक है जिन्हें उन्न्त कोटि का आईएसओ 9001:2000 प्रमाणन प्रदान किया गया है। इस उन्नत कोटि प्रमाणन में पूर्व आईएसओ 9001:1994 प्रमाणन के समान ही ईपीआई के प्रचालन के समस्त क्षेत्र आते हैं, जबकि अन्य कंपनियों के संबंध में केवल विशेष क्षेत्र ही इसके अन्तर्गत आते हैं। इसे अब आईएसओ-14001 (पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली) के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है। इसके साथ ही ईपीआई भारत वर्ष की प्रथम ऐसी निर्माण और ठेका कंपनियो में से एक हो गई है जिन्हे यह दोनों प्रमाणपत्र मिले हैं।

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