इंडिया बेटल्स टू विन दक्षिणपंथी लेखक तरुण विजय की तीसरी पुस्तक है। यह पुस्तक लेखक तरुण विजय की वैचारिक स्पष्टता और दृढ़ता के मानदंडों के अनुरूप ही है।

वर्ण्य विषय संपादित करें

इंडिया बेटल्स टू विन का वर्ण्य विषय भारत के सम्मुख उपस्थित समस्याएं हैं जिनसे भारत को समय रहते निपटना है। समस्याओं का मूल कारण जानने के लिए लेखक भारत के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की पड़ताल करता है। लेखक के अनुसार, पिछली छह-सात शताब्दियों से भारत लगातार संघर्ष कर रहा है। यह संघर्ष कभी युद्ध का रूप ले लेता है तो कभी शांतिपूर्ण संघर्ष का रूप धारण किए रहता है। भारत भावनाओं का अक्सर ख्याल करता है, इसके बावजूद भारत की मूल संस्कृति उपेक्षा और निंदा का शिकार रही है। तरुण विजय धर्मांतरण का मुद्दा उठाते हैं और कहते हैं कि यहां भय और लालच दिखाकर धर्मांतरण कराया जाता है। देश के नेता धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के नाम पर देश को बांटने में लगे हुए हैं। लेखक कहता है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट अपने फैसले में कह चुका है कि मुसलमान उत्तरप्रदेश में अब अल्पसंख्यक नहीं रह गए हैं। सवाल उठाते हैं कि क्या सरकार जम्मू-कश्मीर, मिजोरम या मेघायल में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देगी। लेखक का कहना है कि सही मायने में बौद्ध, जैन और सिख देश में अल्पसंख्यक हैं लेकिन सरकार वोट बैंक की राजनीतिक को पुख्ता करने के लिए मुसलमानों के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाए हुए हैं। सांस्कृतिक मुद्दों के अलावा लेखक ने भारत के सामने मौजूद शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को उठाया।

सन्दर्भ संपादित करें

[1][मृत कड़ियाँ]