भारत के छत्तीसगढ़ प्रांत में स्थित खरौद नगर के मध्य माझापारा में प्राचीन गढ़ से लगा अत्यंत प्राचीन ईंट से बना पश्चिमाभिमुख मूर्ति विहीन लेकिन मूर्तिकला से सुसज्जित इंदलदेव का मंदिर है। इंदल शब्द इंद्र का अपभ्रंश हैं अत: इसे इंद्रदेव कहना अधिक उपयुक्त है। इंद्रदेव शब्द का उल्लेख एक राजा के रूप में लक्ष्मणेश्वर मंदिर के सभा मंडप के दक्षिण दीवार पर लगे शिलालेख में मिलता है। इस मंदिर कर पश्चिमाभिमुख होना आश्चर्य की बात है। ३ कि. मी. की दूरी पर स्थित शिवरीनारायण में भी चंद्रचूड़ महादेव और केशवनारायण का मंदिर पश्चिमाभिमुख है। इस मंदिर के द्वार पर लक्ष्मणेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार की तरह गंगा और यमुना की मूर्ति स्थित है। द्वार के ऊपरी भाग में ब्रह्म, विष्णु और महेश की प्रतिमा स्थित है।

इंदल देव मंदिर

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