प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना, जिसका नाम सितंबर २०१६ में इंदिरा आवास योजना से बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया गया। बीपीएल परिवारों को मिलने वाली आर्थिक मदद को ४५,००० रुपये से बढ़ाकर ७०,००० रुपये कर दिया गया। भारत में एक केंद्र प्रायोजित आवास निर्माण योजना है। योजना का वित्तपोषण केंद्र और राज्यों के बीच ७५:२५ के अनुपात में किया जाता है। उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए केंद्र-राज्य वित्त अनुपात ९०:१० है। संघ शासित प्रदेशों के लिए योजना १००% केंद्र प्रायोजित है। १९८५-८६ से प्रारंभ योजना का पुनर्गठन १९९९-२००० में किया गया, जिसके अंतर्गत गाँवों में गरीबों के लिए मुफ़्त में मकानों का निर्माण किया जाता है। वर्तमान में ग्रामीण परिवारों को मकान निर्माण के लिए ४५ हजार की धनराशि दी जाती है। संकटग्रस्त क्षेत्रों में यह राशि ४८.५ हजार नियत की गयी है।[1] प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में SC/ST/मुक्त बंधुआ मजदूर/अल्पसंख्यक/Non SC/ST/BPL कैटेगरी के 2.95 करोड़ लोगों को मार्च 2022 तक पक्का घर दिलाने के उदेश्य से लाया गया था। जिसकी डेडलाइन अब बढ़ाकर मार्च 2024 कर दी गई है। [2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "इंदिरा आवास योजना का अंतर्जाल पृष्ठ". मूल से 25 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जनवरी 2013.
- ↑ Sarkari, Jobs. "प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना।". Sarkari Jobs. अभिगमन तिथि 8 फरवरी 2023.
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