इख़्वान उन कश्मीरियों का गिरोह था जो पहले आतंकी थे लेकिन बाद में भारत सरकार और भारतीय थल सेना के साथ मिलकर आतंकियों के सफाये के लिए काम करने लगे।[1] इख्वानुल उन आतंकियों का गिरोह था जो सेना के लिए काम करते थे और भारत विरोधी आतंकियों को ठिकाने लगाते थे।

1994 में युसूफ पारे के नेतृत्व में इख्वानुल मुस्लिमीन नाम का एक संगठन अस्तित्व में आया। इख्वान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के उपेक्षित आतंकियों का संगठन था।[2] आईएसआई ने हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठन को तवज्जो देना शुरू कर दिया था जिससे कई अन्य आतंकी हाशिये पर चले गए। वे खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे। ऐसे में पाकिस्तान जाकर आतंक की ट्रेनिंग ले चुके युसूफ पारे ने इख्वान की स्थापन की। इख्वान ने भारतीय सेना का साथ देना शुरू कर दिया। श्रीनगर में उस समय नैशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व एमएलसी जावेद अहमद शाह के नेतृत्व में अन्य ग्रुप भी काम चल रहा था जिसको राज्य पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का समर्थन प्राप्त था। उनके अलावा कश्मीर के अनंतनाग में लियाकत खान भी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहा था। 1994 के अंत तक तीनों गिरोहों का विलय हो गया और एक संगठन इख्वानुल मुस्लिमीन बना।[3]

लंबे राष्ट्रपति शासन के बाद 1996 में कराए गए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों का श्रेय इख़्वान को दिया जाता है।


इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "जानें, कौन थे कश्मीर में आतंकियों पर कहर बनकर टूटने वाले इख्वान".
  2. "कश्मीर: जो लड़ाके कभी भारत के लिए आतंकवादियों से लड़े, हमने उनको दगा दिया".
  3. "पर्रिकर के बयान से कश्मीरी क्यों कांपे?".