इतिहास का अंत उस अवधारणात्मक संज्ञा का नाम है जो शीत युद्ध समात्म होने की अवधि के लिए समाज-विज्ञानियों द्वारा किसी संबंधित तर्क के पक्ष या विपक्ष में अक्सर प्रयुक्त की जाती है। इसे गढ़ने का श्रेय फ़्रांसिस फ़ुकुयामा को जाता है। सोवियत खेमे के पराभव के बाद 1992 में उनकी रचना "द एन्ड ऑफ़ हिस्ट्री ऐंड द लास्ट मैन" (The End of History and the Last Man) का प्रकाशन हुआ। इसने फ़ुकुयामा को रातों-रात बौद्धिक सेलेब्रिटी बना दिया, वरना इससे पहले समाज-विज्ञान के क्षेत्र में उनकी कोई विशेष पूछ नहीं थी। पुस्तक प्रकाशित होते ही पूँजीवाद के आलोचकों और विशेष कर अमेरिकी प्रभुत्व को विश्व के लिए हानिकारक मानने वालों और फ़ुकुयामा के समर्थकों के बीच एक जबरदस्त बहस छिड़ गयी।