इत्सुकुशीमा मंदिर
इत्सुकुशीमा मंदिर (厳島神社 इसकीुकुशिमा-जिंजा), इत्सुकुशीमा द्वीप (जिसे मियाजिमा के रूप में जाना जाता है) पर स्थित, एक शिंतो तीर्थस्थल है, जो अपने "तैरते" टोरि द्वार के लिए जाने जाता हैं।[1] यह जापान में हिरोशिमा प्रांत में हात्सुकाइची शहर में हैं। मंदिर परिसर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है, और जापानी सरकार ने यहाँ के कई इमारतों और संपत्ति को राष्ट्रीय खजाने के रूप में नामित किया हैं।
इत्सुकुशीमा मंदिर | |
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विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम | |
देश | जापान |
प्रकार | सांस्कृतिक |
मानदंड | i ii, iv, vi |
सन्दर्भ | 776 |
युनेस्को क्षेत्र | एशिया प्रशांत |
शिलालेखित इतिहास | |
शिलालेख | 1168 (Unknown सत्र) |
इत्सुकुशीमा मंदिर | |||||
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"इत्सुकुशीमा मंदिर" कांजी में | |||||
जापानी नाम | |||||
कांजी लिपि | 厳島神社 | ||||
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इतिहास
संपादित करेंवैसे यह मंदिर कई बार नष्ट कर हो चुका हैं, लेकिन पहले मंदिर की स्थापना शायद 6वीं शताब्दी में ही की गई थी। वर्तमान मंदिर 16वीं शताब्दी के मध्य की मानी जाती हैं, लेकिन इसका वास्तु 12वीं श़ताब्दी से पहले का माना जाता हैं। यह वास्तु 1168 में स्थापित किया गया था, जब टेरा नो कियोमोरी द्वारा धनराशि प्रदान की गई थी।[2][3]
5 सितंबर, 2004 को, टायफून सोंगडा ने मंदिर को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाई थी। बोर्डवॉक और छत को आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया था, और मरम्मत के लिए मंदिर अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था।
धार्मिक महत्व
संपादित करेंयह मंदिर समुद्र और तूफान के शिंतो देवता, और सूरज की देवी अमातेरसु (शाही परिवार के संरक्षक देवी) के भाई, सुसानो-ओ नो मिकोटो की तीन बेटियों को समर्पित हैं। क्योंकि इस पूरे द्वीप को ही पवित्र माना गया हैं, अत: इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए पुर्व में आम लोगों को इस पर पैर भी रखने की अनुमति नहीं थी। तीर्थयात्रियों को यहाँ दर्शन के लिए अनुमति देने के लिए, मंदिर को पानी के ऊपर घाट की तरह बनाया गया था, ताकि यह जमीन से ऊपर तैरता दिखाई दे।[4] लाल प्रवेश द्वार या टौरी को इसी कारण से पानी पर बनाया गया था। आम लोगों को मंदिरों आने से पहले, अपनी नौकाओं को टौरी के अन्दर से ले जाना होता था।
मंदिर की पवित्रता बरकरार रखना इतना महत्वपूर्ण था कि 1878 के बाद से इसके पास किसी भी कि मृत्यु या जन्म नहीं होने दिया जाता हैं।[5] आज तक, गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दिन नज़दिक आने पर मुख्य भूमि पर वापस आना पड़ता हैं, ऐसा ही अधिक बीमार या बहुत बुजुर्ग के साथ भी किया जाता हैं। द्वीप पर शव को दफनानें या जलाने कि पूर्णता मनाहीं हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंचित्र दीर्घा
संपादित करें-
मंदिर का द्वार टोरी
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कम ज्वार पर टोरी
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सुर्योदय के समय टोरी
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सुर्यास्त के समय टोरी
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रात्रि के समय टोरी
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मंदिर परिसर की इमारते भी पानी में बने हैं।
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1164 में लोटस सूत्र का दान
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मंदिरों के हॉल और रास्ते पाबाँसा पर।
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इत्सुकुशीमा मंदिर परिवार शिखर।
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मन्दिर के अन्दर से टोरी का दृश्य
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इत्सुकुशीमा में पांच-मंजिला पेगोडा
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टोरी द्वार के निकट हिरण
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इसकेुकुशिमा मुख्य मंदिर (हेडन) के अंदर
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मिज्यामा में पुल
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ताहोतो पेगोडा
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हिरोशीज
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हिरोशीज
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कुनिसाड़ा
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हिरोशीज II
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कोबायशी किओचिका
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योशितोशी
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योशितोशी
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Nussbaum, Louis-Frédéric (2005). "Itsukushima-jinja" Archived 2016-04-26 at the वेबैक मशीन in Japan Encyclopedia, p. 407.
- ↑ "Itsukushima Shinto Shrine". UNESCO's World Heritage Centre. मूल से 23 April 2016 को पुरालेखित.
- ↑ Mason, Penelope (2004). Dimwiddle, Donald (संपा॰). History of Japanese Art (2nd संस्करण).
- ↑ Turner, Victor W. (1969). अनुष्ठान प्रक्रिया: संरचना और विरोधी संरचना. Chicago: Aldine Pub.
- ↑ "इत्सुकुशीमा". GoJapanGo. 2010. मूल से 9 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2011.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंItsukushima Shrine से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- यूनेस्को विश्व विरासत विवरण
- इत्सुकुशीमा मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट (जापानी)
- https://web.archive.org/web/20171116093742/http://www.en.itsukushimajinja.jp/index.html (English में)
- Miyajima इत्सुकुशीमा मंदिर सहित गाइड
- जापान के राष्ट्रीय अभिलेखागार: इत्सुकुशीमा