इफ्तिखार अली खान पटौदी
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी एकमात्र टेस्ट क्रिकेटर हैं जिन्होंने भारत और इंग्लैंड दोनों देशों के लिए खेला है।[1] इन दोनों देशों के अलावा उन्होंने पटियाला के महाराजा की टीम XI, ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, दक्षिण पंजाब, पश्चिम भारत और वूस्टरशर (इंग्लैंड) के लिए भी खेला है. 1946 में पटौदी ने भारत के इंग्लैंड टूर की कप्तानी भी की थी।[2]
इफ्तिखार अली खान पटौदी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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Nawab of Pataudi | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Nawab of Pataudi | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Reign Titular | 1917–1948 1948–1952 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राज्याभिषेक | December 1931 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पूर्ववर्ती | Muhammad Ibrahim Ali Khan Siddiqui Pataudi | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तरवर्ती | मंसूर अली ख़ान पटौदी (as titular and later as pretender) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जन्म | Mohammad Iftikhar Ali Khan Siddiqui Pataudi 16 March 1910 Pataudi, Pataudi State, Punjab, British India (present-day Haryana, India) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
निधन | 5 जनवरी 1952 नई दिल्ली, दिल्ली, India | (उम्र 41 वर्ष)|||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
समाधि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Consort | Sajida Sultan | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
संतान | Mansoor Ali Khan Pataudi and 3 daughters | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
House | Pataudi | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पिता | Muhammad Ibrahim Ali Khan Siddiqui Pataudi | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
माता | Shahar Bano Begum | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
धर्म | Islam | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पेशा | Cricketer and Civil servant | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
व्यक्तिगत जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपनाम | Pat | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कद | 6 फीट 0 इंच (1.83 मी॰) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बल्लेबाजी की शैली | Right-handed | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राष्ट्रीय पक्ष | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
टेस्ट में पदार्पण (कैप 265/32) | 2 December 1932 England बनाम Australia | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतिम टेस्ट | 20 August 1946 India बनाम England | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
घरेलू टीम की जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वर्ष | टीम | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1945–1946 | Southern Punjab | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1932–1938 | Worcestershire | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1928–1931 | Oxford University | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कैरियर के आँकड़े | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत : Cricinfo, 12 May 2009 |
शुरुआती जीवन
संपादित करेंइफ्तिखार अली खान 16 मार्च 1910 को दिल्ली के पटौदी हाउस में पैदा हुए थे. उनके पिता पटौदी के नवाब मुहम्मद इब्राहिम अली खान थे और मां शाहर बानो बेगम थीं. बहुत ही छोटी उम्र में इफ्तिखार, पटौदी (जो अभी हरियाणा में है) – जो उस समय एक रियासत थी – के नवाब बन गए क्योंकि 1917 में ही उनके पिता का देहांत हो गया था. उन्हें औपचारिक रूप से 1931 में नवाब बनाया गया. खान लाहौर के चीफ्स कॉलेज में गए और उसके बाद पढ़ने के लिए बल्लीओल कॉलेज ऑक्सफ़ोर्ड चले गए.
1939 में इफ्तिखार ने साजिदा सुल्तान से शादी की जो भोपाल के आखिरी नवाब की दूसरी पुत्री थीं. इस दम्पती ने मंसूर अली खान पटौदी को जन्म दिया जिन्हें आज क्रिकेट के नवाब के नाम से भी जाना जाता है.
करियर
संपादित करेंनवाब इफ्तिखार अली खान एक राइट हैंडेड बैट्समैन थे जिन्होंने छह टेस्ट मैच (19.90 की औसत के साथ) और 127 फर्स्ट क्लास मैच (48.61) की औसत के साथ खेले।
शुरुआती समय में इफ्तिखार अली खान को भारत में स्कूल में ही कोचिंग प्राप्त हुई. उनकी आगे की ट्रेनिंग फिर इंग्लैंड में संपन्न हुई जहाँ उन्होंने 1932-33 की ‘बॉडीलाइन’ सीरीज के लिए इंग्लैंड की टीम में जगह बनाई. अपने पहले ही टेस्ट मैच में उन्होंने सिडनी के एशेज टेस्ट में शतक जड़ा लेकिन इसके बावजूद वे दूसरे मैच के बाद ही सीरीज से बाहर हो गए. हुआ यूं कि उन्होंने कप्तान डगलस जॉर्डीन की बॉडीलाइन रणनीति पर आपत्ति जताई तो डगलस ने कहा “अच्छा तो यह महाराज ईमानदारी से ऐतराज़ करेंगे”. और इसी के साथ 1934 तक पटौदी सिर्फ इंग्लैंड के काउंटी मैच ही खेल पाए.
वूस्टरशर काउंटी के मैचों में बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन दिखाने के बाद 1934 में आखिरकार उन्होंने इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट में जगह बनाई जो इंग्लैंड की तरफ से उनकी आखिरी पारी भी थी. 1936 में भारत में होने वाले इंग्लैंड टूर के लिए उन्हें कप्तान चुना गया लेकिन अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया.
1946 का इंग्लैंड टूर
संपादित करें1946 में तब छतीस वर्षीय पटौदी को भारत के इंग्लैंड टूर का कप्तान चुना गया जो द्वित्तीय विश्व युद्ध ख़त्म होने के बाद हो रहा था और इंग्लैंड सम्पूर्ण मैच खेलने को तैयार भी था. भारत ने इसमें 29 फर्स्ट क्लास मैच खेले जिसमें उसने 11 जीते, 4 हारे और 14 में ड्रा मिला.
पटौदी की इंग्लैंड में परफॉर्मन्स इतनी शानदार नहीं थी, वो भी तब जब उन्होंने 1930 के दशक में इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेला हुआ था. उन्होंने इस टूर में लगभग 1000 रन बनाये, लेकिन टेस्ट मैच में केवल 11 की औसत ही रख पाए, जिसे भारत हार गया. इसके लिए उनकी कप्तानी की खूब आलोचना भी हुई. इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया और पांच जनवरी 1952, अपने पुत्र टाइगर पटौदी के जन्मदिवस पर पोलो खेलते समय दिल का दौरा पड़ने की वजह से दम तोड़ दिया.
2007 में मेरिलबोन क्रिकेट क्लब ने भारत और इंग्लैंड के बीच हुए पहले क्रिकेट मैच की 75वीं सालगिरह के उपरांत इफ्तिखार अली खान के नाम पर एक टेस्ट ट्रॉफी की घोषणा की जिसका नाम ‘पटौदी ट्रॉफी’ रखा गया . यह खास ट्रॉफी भारत और इंग्लैंड के बीच एक टेस्ट सीरीज जीतने वाले को मिलती है. अब तक 4 बार हुए इस ट्रॉफी टेस्ट में भारत सिर्फ एक ही बार जीत दर्ज करा पाया है.
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Royalty on the cricket field". International Cricket Council. अभिगमन तिथि 18 May 2018.
- ↑ "Herschelle the bully". ESPN Cricinfo. अभिगमन तिथि 21 March 2018.