इब्राहिम लोदी
इब्राहिम लोदी (मृत्यु 21 अप्रैल, 1526) दिल्ली सल्तनत का अंतिम सुल्तान था। वह अफगानी था। उसने भारत पर 1517-1526 तक राज किया और फिर मुगलों द्वारा पराजित हुआ, जिन्होंने एक नया वंश स्थापित किया, जिस वंश ने यहाँ तीन शताब्दियों तक राज्य किया।
इब्राहिम लोदी | |
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Sultan of दिल्ली Sultan of the Lodi Dynasty | |
Sultan of the Delhi Sultanate | |
शासनावधि | 1517 – 21 April 1526 |
राज्याभिषेक | 1517, Agra |
पूर्ववर्ती | Sikandar Lodi |
उत्तरवर्ती | Sultanate abolished (Babur as Mughal Emperor) |
जन्म | 1480[1] दिल्ली |
निधन | 21 April 1526 Panipat, now Haryana, India | (aged 45–46)
समाधि | Tehsil Office, Panipat |
घराना | Lodi dynasty |
पिता | Sikandar Khan Lodi |
इब्राहिम को अपने पिता सिकंदर लोदी के मरणोपरांत गद्दी मिली। परंतु उसकी शासकीय योग्यताएं अपने पिता समान नहीं थीं। उसे अनेक विद्रोहों का सामना करना पड़ा।[2]
राणा सांगा ने अपना साम्राज्य पश्चिम उत्तर प्रदेश तक प्रसार किया और आगरा पर हमले की धमकी दी। पूर्व में भी विद्रोह शुरु हो गया। इब्राहिम ने पुराने एवं वरिष्ठ सेना कमाण्डरों को अपने वफादार नये सेना कमाण्डरों से बदल कर दरबार के नवाबों को भी नाखुश कर दिया था। तब उसे अपने लोग ही डराने धमकाने लगे थे। और अंततः अफगानी दरबारियों ने बाबर को काबुल से भारत पर आक्रमण करने के लिये आमंत्रित किया।[3]
इब्राहिम की मृत्यु पानीपत के प्रथम युद्ध में हो गयी थी। बाबर के उच्च कोटि के सैनिक एवं अपने लोदी सैनिकों का अलग होना उसके पतन का कारण बना, हालाँकि उसकी सेना का
असफलता
संपादित करेंइब्राहीम लोदी ने राज्य का विभाजन करके अपने भाई 'जलाल ख़ाँ' को जौनपुर का शासक नियुक्त किया, परन्तु बाद में जौनपुर को अपने राज्य में मिला लिया। सिंहासन पर बैठने के उपरान्त इब्राहीम ने आजम हुमायूं शेरवानी को ग्वालियर पर आक्रमण करने हेतु भेजा। वहाँ के तत्कालीन शासक विक्रमजीत सिंह ने इब्राहीम की अधीनता स्वीकार कर ली। मेवाड़ के शासक राणा साँगा के विरुद्ध इब्राहीम लोदी का अभियान असफल रहा। खतौली के युद्ध में इब्राहीम लोदी राणा साँगा से हार गया। इस युद्ध में राणा साँगा ने अपना बाँया हाथ खो दिया। राणा साँगा ने चन्देरी पर अधिकार कर लिया।
झगड़े का कारण
संपादित करेंमेवाड़ एवं इब्राहीम लोदी के बीच झगड़े का मुख्य कारण मालवा पर अधिकार को लेकर था। इब्राहीम के भाई जलाल ख़ाँ ने जौनपुर को अपने अधिकार में कर लिया था। उसने कालपी में ‘जलालुद्दीन’ की उपाधि के साथ अपना राज्याभिषेक करवाया था। इब्राहीम लोदी ने लोहानी, फारमूली एवं लोदी जातियों के दमन का पूर्ण प्रयास किया, जिससे शक्तिशाली सरदार असंतुष्ट हो गये।
पराजय एवं मृत्यु
संपादित करेंइब्राहीम के असंतुष्ट सरदारों में पंजाब का शासक ‘दौलत ख़ाँ लोदी’ एवं इब्राहीम लोदी के चाचा ‘आलम ख़ाँ’ ने काबुल के तैमूर वंशी शासक बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए निमंत्रण दिया। बाबर ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया और वह भारत आया। 21 अप्रैल 1526 को पानीपत के मैदान में इब्राहीम लोदी और बाबर के मध्य हुए भयानक संघर्ष में लोदी की बुरी तरह हार हुई और उसकी हत्या कर दी गई। इब्राहिम लोदी की सबसे बड़ी दुर्बलता उसका हठी स्वभाव था। उसके समय की प्रमुख विशेषता उसका अपने सरदारों से संघर्ष था। इब्राहीम की मृत्यु के साथ ही दिल्ली सल्तनत समाप्त हो गई और बाबर ने भारत में एक नवीन वंश ‘मुग़ल वंश’ की स्थापना की।
विद्धानों के विचार
संपादित करेंफ़रिश्ता के अनुसार - “वह मृत्युपर्यन्त लड़ा और एक सैनिक भाँति मारा गया।” नियामतुल्लाह का विचार है कि - “सुल्तान इब्राहिम लोदी के अतिरिक्त भारत का कोई अन्य सुल्तान युद्ध स्थल में नहीं मारा गया।”
चित्र दीर्घा
संपादित करें-
An awards ceremony in the Sultan Ibrāhīm’s court before being sent on an expedition to Sambhal
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The battle of Panipat and the death of Sultan Ibrāhīm, the last of the Lōdī Sultans of Delhi
देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Biography of Ibrahim Lodi | Free PDF Download Studyiq". 30 June 2019. मूल से 28 जून 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2021.
- ↑ Datta, Bhagavad; Shrava, Satya. Vaidika vāṅmaya kā itihāsa: Apaurushaya Veda tathā Śākhā. Praṇava Prakāśana. मूल से 14 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2018.
- ↑ Bhāratīya sāhitya meṃ Sītā kā svarūpa aura vikāsa. Indraloka Prakāśana. 1992. मूल से 14 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2018.
पूर्वाधिकारी सिकंदर लोदी |
दिल्ली के सुल्तान 1517–1526 |
उत्तराधिकारी None |