इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन आफ इंण्डिया लिमिटेड

इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन ऑफ इंण्डिया लिमिटेड (ECIL) भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अन्तर्गत एक उपक्रम है। इसकी स्थापना १९६७ में हैदराबाद में की गयी थी।

ईसीआईएल का इतिहास संपादित करें

ईसीआईएल की स्‍थापना परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत 11 अप्रैल, 1967 को हुई। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य व्‍यावसायिक श्रेणी इलेक्‍ट्रानिक्‍स के क्षेत्र में सशक्‍त स्‍वदेशी क्षमता का विकास करना था। ईसीआईएल का प्रारंभिक जोर पूर्ण स्‍वावलंबन एवं तीन प्रमुख प्रौद्योगिकी लाइनों - कम्‍प्‍यूटर, नियंत्रण प्रणालियां और संचार क्षेत्र के अनेक उत्‍पादों की डिजाइन, विकास, विनिर्माण और विपणन पर था। कुछ वषों में ई सी आई एल ने बिना किसी वाह्य-प्रौद्योगिकी सहायता के विभिन्‍न जटिल इलेक्‍ट्रानिक उत्‍पादों के विकास का प्रारंभन किया। उनकी प्रौद्योगिकियों में ईसीआईएल अग्रतम रहा। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • प्रथम सांख्यिक कंप्‍यूटर (डिजिटल कम्प्यूटर)
  • प्रथम सॉलिड स्‍टेट टीवी
  • नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों के लिए नियंत्रण एवं उपकरणीकरण (इंस्ट्रुमेन्टेशन)
  • प्रथम अर्थ स्‍टेशन ऐन्‍टेना
  • प्रथम कंप्‍यूटरीकृत प्रचालक सूचना प्रणाली
  • प्रथम विकिरण मॉनीटरन एवं संसूचन प्रणाली
  • प्रथम स्‍वचालित संदेश स्विचिंग प्रणाली
  • ई-108 एक्‍सचेंज के प्रथम प्रचालन एवं अनुरक्षण केन्‍द्र
  • प्रथम प्रोग्रामकारी लॉजिक नियंत्रण
  • प्रथम सॉलिड स्‍टेट कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर
  • प्रथम इलेक्‍ट्रानिक मतदान मशीन, इत्‍यादि

ईसीआईएल ने विशेष रूप से कंप्‍यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्‍च दक्षता वाली तकनीकी और प्रबंधकीय जनशक्ति के प्रशिक्षण और विकास में अत्‍यंत उल्‍लेखनीय कार्य किया हैं। यद्यपि इसका प्रारंभिक जोर नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रमों की नियंत्रण एवं उपकरणीकरण - आवश्‍यकताओं को पूरा करना था, लेकिन स्‍वावलंबन का विस्‍तार करने से कंपनी ने सुरक्षा, नागर विमानन, सूचना एवं प्रसारण, दूरसंचार, बीमा, बैकिंग पुलिस तथा अर्ध-सैनिक बल, तेल एवं गैस, विद्युत, अंतरिक्ष शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, कृषि, स्‍टील एवं कोयला क्षेत्र एवं सरकारी प्रक्षेत्र में प्रयोक्‍ता अन्‍य विभागों में अपनी संभावनाएं बढ़ाईं। इस प्रकार कुछ वर्षों से ईसीआईएल बहु-उत्‍पाद कंपनी के रूप में उभर कर आई है। यह भारतीय अर्थ व्‍यवस्‍था के विभिन्‍न क्षेत्रों में अपना योगदान दे रही है। इसका मुख्‍य ध्‍येय आयात को प्रतिस्‍थापित तथा ऐसे उत्‍पादों और सेवाओं का विकास करना है जो भारत के सामरिक महत्‍व (जैसे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र, रक्षा, अंतरिक्ष, सुरक्षा और ई-अभिशासन (ई-गवर्नमेण्त)) के लिए अत्‍यंत उपयोगी हैं।

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