इल पादेनोने (Il Pordenone  ; वास्तविक नाम : Giovanni Antonio de’ Sacchis ; १४८३-१५३९) 'वेनेशियन आर्ट स्कूल' का इतालीय चित्रकार। १५३५ में हंगरी के राजा जान ने उसे 'नाइट' की उपाधि प्रदान की, वह अपने को 'रेगिल्लो' कहने लगा। उसका दूसरा नाम जिओवान्नी एंतोनिओद साच्ची भी था।

गोलगोथा (Golgotha); क्रेमोना कैथेड्रल

प्राय: उसने महलों और बड़े बड़े भवनों में भित्तिचित्रों का निर्माण किया। प्रारम्भ में जिओर्जियोन और बाद में कोरेज्जिओ और माइकेल एंजलो का प्रभाव उसपर पड़ा। साल्वेतोर के पैलेस चैपल और सूसेगना की वेदिकाओं के चित्रण में उक्त प्रभाव द्रष्टव्य है। फ्रउली, पादेनोन, ट्रेविजो, मांटुआ, जेनोआ, आदि स्थानों में उसने अनेक कलाकृतियों को सिरजा। होमर कृत 'ओडेसी' के प्रसंगों और दृश्यांकनों को लेकर उसने एक चित्रमाला भी बनाई थी, पर वह नष्ट हो चुकी है। वेनिस में किसी समय वह इतना प्रसिद्ध हुआ कि उसकी ख्याति टिशियन के समकक्ष पहुँच गई। फरारा के ड्यूक ने अपनी राजधानी में ससम्मान उसे आमंत्रित किया था, किन्तु वहाँ जाकर वह अधिक दिन जीवित न रह सका। 'दि ग्लोरी ऑव सेंट लोरेंजो' उसकी सर्वोत्कृष्ट कलाकृति मानी जाती है।