इस्तिखारा की नमाज़

मुसलमानों द्वारा किसी मुद्दे पर अल्लाह से मार्गदर्शन[1] के लिए पढ़ी जाने वाली नमाज़ है।

इस्तिखारा की नमाज़ (इंग्लिश: Salat al Istikharah, उर्दू: استخارہ) मुसलमानों द्वारा किसी मुद्दे पर अल्लाह से मार्गदर्शन[1] के लिए पढ़ी जाने वाली नमाज़ है।
सोने से पहले नमाज़ के बाद दुआ(वंदना) पढ़ी जाती है। सुबह उठने पर जिस बात का दिल करे उसे अल्लाह का मशवरा मान लिया जाता है।
हदीस में बताया गया तरीक़ा:
" जब तुम में से कोई एक शख़्स काम करना चाहे तो वो फ़र्ज़ के इलावा दो रकात अदा कर के ये दुआ पढ़े:

इस्तिखारा की दुआ हिंदी में[मृत कड़ियाँ] इस तरह है:

अल्लाहुम्म इन्नी अस-त-खीरु-क बी-इलमि-क व अस-तक दिरु-क बि-कुद-रति-क व-अस-अलु-क मिन फ़ज-लिकल अजीम फ़-इन्न-क तक-दिरु वला अक-दिरु व-तअ-लमु- व-ला अअ-लिमु व-अन-त अल्लामुल गुयूब आल्लाहुम्म इन-कुन-त तअ-लमु अन्न हाजल अम-र, खैरुल्ली फ़ी-दीनी व-म-आषि व-आक़िबति अम-री फ़क़-दिर-हुली व-यस्सिर-हुली सुम्म बारीक-ली फिहि व-इन-कुन-त तअ-लमु अन्न हाजल अम-र षर्रुल-ली फी-दीनी व-म-आषि व-आक़िबति अम-री फ़स रीफ़-हु अन्नी वस-रिफ़-नी अन-हु वक-दिर लियल-खै-र हैसु का-न सुम्म अर-जीनी बीह !

(दुआ में दोनों जगह जब हाजल अम्र पर पहुंचे तो अपनी जरूरत का ध्यान रखें, जिसके लिए इस्तिखारा कर रहे हैं)


अनुवाद: ए अल्लाह में मैं तेरे इलम की मदद से ख़ैर मांगता हूँ और तुझसे ही तेरी क़ुदरत के ज़रीया क़ुदरत तलब करता हूँ और मैं तुझसे तेरा फ़ज़ल अज़ीम मांगता हूँ, यक़ीनन तो हर चीज़ पर क़ादिर है और में किसी चीज़ पर क़ादिर नहीं, तू जानता है और में नहीं जानता और तू तमाम ग़ैबों का इलम रखने वाला है, अल्लाह अगर तू जानता है कि ये काम जिसका मैं इरादा रखता हूँ मेरे लिए मेरे दीन और मेरी ज़िंदगी और मेरे अंजाम-कार के लिहाज़ से बेहतर है तो उसे मेरे मुक़द्दर में कर और आसान कर दे, फिर इस में मेरे लिए बरकत अता फ़र्मा और अगर तेरे इलम में ये काम मेरे लिए और मेरे दीन और मेरी ज़िंदगी और मेरे अंजाम-कार के लिहाज़ से बुरा है तो इस काम को मुझसे और मुझे इस से फेर दे और मेरे लिए भलाई मुहय्या कर जहां भी हो, फिर मुझे उस के साथ राज़ी कर दे।

इन्हें भी देखें

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  1. "इस्तिखारा: करने का तरीका और करने की वजह". www.istikhara.com. मूल से 19 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अप्रैल 2020.