ईश्वरविलास महाकाव्य
सवाई जयसिंह के समकालीन, बूंदी और जयपुर के राजदरबारों से सम्मानित, आन्ध्र-तैलंग-भट्ट, संस्कृत और ब्रजभाषा के महाकवि, श्रीकृष्णभट्ट कवि कलानिधि [1] द्वारा रचित, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर द्वारा प्रकाशित 'ईश्वरविलास' महाकाव्य[2]जयपुर के इतिहास पर एकाग्र एक असाधारण इतिहास काव्यग्रंथ[3] है। विश्व भर के संस्कृत-समाज में समादृत इस ग्रन्थ को पुनः कलानाथ शास्त्री के अकादमिक-सहयोग से हिंदी अनुवाद सहित 2006 में डॉ. रमाकांत पाण्डेय ने ‘जगदीश संस्कृत पुस्तकालय’, जयपुर से पुनर्प्रकाशित किया है ।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%AD%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BF
- ↑ Tripathi, Radhavallabh, ed. (2012). संस्कृतविद्वत्परिचायिका – Inventory of Sanskrit Scholars. New Delhi, India: Rashtriya Sanskrit Sansthan. ISBN 978-93-8611-185-2. Retrieved February 25, 2013
- ↑ 2.[1] Archived 2016-03-04 at the वेबैक मशीन
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंइस ग्रन्थ का उल्लेख अधिसंख्य किताबों में आता रहता है पर संक्षेप में इसकी महता जानने के लिए लिए देखें :
[[2]]
[[3]]
[[4]]
[[5]]
[[6]]
[[7]]
[[8]]
[[9]]
[[10]]
[[11]]
[[12]]
[[13]]
[[14]]
[[15]]
[[16]]