उड़द दाल

(उडद से अनुप्रेषित)

उरद या उड़द एक दलहन होता है। उरद को संस्कृत में 'माष' या 'बलाढ्य'; बँगला' में माष या कलाई; गुजराती में अड़द; मराठी में उड़ीद; पंजाबी में माँह, अंग्रेज़ी, स्पेनिश और इटालियन में विगना मुंगों; जर्मन में उर्डबोहने; फ्रेंच में हरीकोट उर्ड; पोलिश में फासोला मुंगों; पुर्तगाली में फेजों-द-इण्डिया तथा लैटिन में 'फ़ेसिओलस रेडिएटस', कहते हैं।

उड़द, कलाए
सूखे उड़द के बीज (साबुत उड़द)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
विभाग: मैग्नोलियोफाइटा
वर्ग: मैग्नोलियोप्सीडा
गण: Fabales
कुल: Fabaceae
उपकुल: Faboideae
वंश समूह: Phaseoleae
वंश: Vigna
जाति: V. mungo
द्विपद नाम
Vigna mungo
(L.) Hepper

इसका द्विदल पौधा लगभग एक हाथ ऊँचा है और भारतवर्ष में सर्वत्र ज्वार, बाजरा और रुई के खेतों में तथा अकेला भी बोया जाता है। इससे मिलनेवाली दाल भोजन और औषधि, दोनों रूपों में उपयोगी है। बीज की दो जातियाँ होती हैं :

(1) काली और बड़ी, जो वर्षा के आरंभ में बोई जाती है और

(2) हरी और छोटी, जिसकी बोआई दो महीने पश्चात्‌ होती है।

इसकी हरी फलियों की भाजी तथा बीजों से दाल, पापड़ा, बड़े इत्यादि भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। आयुर्वेद के मतानुसार इसकी दाल स्निग्ध, पौष्टिक, बलकारक, शुक्र, दुग्ध, मांस और मेदवर्धक; वात, श्वास और बवासीर के रोगों में हितकर तथा शौच को साफ करनेवाली है।

रासायनिक विश्लेषणों से इसमें स्टार्च 56 प्रतिशत, अल्बुमिनाएड्स 23 प्रतिशत, तेल सवा दो प्रतिशत और फास्फोरस ऐसिड सहित राख साढ़े चार प्रतिशत पाई गई है।

इसकी तासीर ठंडी होती है, अतः इसका सेवन करते समय शुद्ध घी में हींग का बघार लगा लेना चाहिए। इसमें भी कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, केल्शियम व प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। बवासीर, गठिया, दमा एवं लकवा के रोगियों को इसका सेवन कम करना चाहिए।

प्रकार संपादित करें

यह तीन प्रकार से प्रयोग में आती है:

 
उड़द धुली
 
उड़द की पत्तियाँ तथा पुष्प

सन्दर्भ संपादित करें

  • H.K. Bakhru (1997). Foods that Heal. The Natural Way to Good Health. Orient Paperbacks. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-222-0033-8.

बाहरी सूत्र संपादित करें