उण्यायि वारियर
उण्णायि वारियर (१७वीं शताब्दी का उत्तरार्ध) मलयालम कवि, नाटककार, लेखक एवं विद्वान थे। उन्होने कथकली को अमूल्य योगदान दिया। उनकी 'नलचरितम्' नामक अट्टकथा अत्यन्त प्रसिद्ध है।
परिचय
संपादित करें१८वीं शताब्दी में मध्य केरल के इरिंलाक्कुडा नामक स्थान में पैदा हुए थे। कार्तिक तिरुनाल रामवर्मा महाराजा (१७५८-१७९८) के संरक्षण में तिरुवनंतपुरम् में उन्होंने अनेक वर्ष व्यतीत किए। उण्णायि वारियर कथकलि साहित्य में सबसे महान नाम है यद्यपि उन्होंने केवल एक आट्टक्कथा (कथकलि नाटक) जिसे नलचरितम् कहते हैं, लिखा है।
नलचरितम् चार भागों में विभाजित है - चार दिन का अभिनय। इस ग्रंथ का मलयालम साहित्य में अद्वितीय स्थान है। नाटकीय भावुकता और काव्यात्मक आकर्षण में इसका कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है। कथानक के निर्माण एवं चरित्रचित्रण दोनों में वारियर ने अपूर्व कलामर्मज्ञता प्रदर्शित की है। साधारण पात्रों का चित्रण भी, सूक्ष्म विवरणों के प्रति अद्भुत सतर्कता दिखलाते हुए, किया गया है। कवि ने भाषा का प्रयोग अत्यंत रूढ़िमुक्त ढंग से किया है। व्यंजनाओं की प्रचुरता और नलचरितम् की संगीतज्ञता ने इसे कथकलि और काव्यप्रेमियों का स्नेहभाजन बना दिया है।