उत्तराखण्ड की भाषाएँ पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में आती हैं। उत्तराखण्ड में बोली जाने वाली भाषाओं को दो प्रमुख समूहों में विभाजित किया जा सकता है: कुमाऊँनी और गढ़वाली जो क्रमशः राज्य कुमाऊँ और गढ़वाल मण्डलों में बोली जातीं हैं। इन दोनों भाषाओं में संस्कृत के अनेक शब्दों की उपलब्धता से इन्हे संस्कृत से विकसित समझा जाता है। जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं।

गढ़वाली और कुमाऊंनी संपादित करें

गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा हिंदी भाषा ही है गढ़वाली कुमाऊनी यह राष्ट्रीय भाषा नहीं है एक बोली है जल्दी से उत्पन्न हुई है और पूरे उत्तराखंड में ज्यादातर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

लेकिन राज्य की सबसे प्रमुख भाषा हिन्दी है। यह राज्य की आधिकारिक और कामकाज की भाषा होने के साथ-साथ अन्तरसमूहों के मध्य संवाद की भाषा भी है।

राज्य की दूसरी प्रमुख राजभाषा संस्कृत है। उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Trivedi, Anupam (19 January 2010). "Sanskrit is second official language in Uttarakhand" [संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी राजभाषा है।]. Hindustan Times. मूल से 1 February 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 July 2012.

इन्हें भी देखें संपादित करें