उदगमन (emergence) उस स्थिति को कहते हैं जब किसी तंत्र (सिस्टम) का पूर्ण रूप से ऐसा व्यवहार हो या उसमें ऐसे गुण हों जो उस तंत्र के अंदर सम्मिलित भागों के व्यवहार या गुणों से अलग हों। उदाहरण के लिये यदी मनुष्यों के मस्तिष्क की कोशिकाओं के गुणों व व्यवहार को परखा जाये तो इस बारीक अध्ययन से "मित्रता" का गुण समझ पाना कठिन है, हालांकि यह मानव मस्तिष्क की ही उत्पत्ति है। इसी प्रकार से अगर अणुओंपरमाणुओं को देखा जाये तो यह अनुमान लगाना कठिन है कि इनसे एक आँख बन सकती है जिस से दृष्टि प्रदान होती है। एक और उदाहरण यह है कि किसी अकेले मानव के व्यवहार व गुण देखकर यह अनुमान लगाना कठिन है कि उनके जामावड़े से एक देश और उसमें कई राजनैतिक दल बन सकते हैं। उदगमन जटिल तंत्रों (complex systems) के अध्ययन में अत्यंत महत्वपूर्ण है।[1][2][3][4]

रेत के ऊपर वायु या जल प्रवाह से लहरो की आकृति बन जाना प्रकृति में उदगमन का एक उदाहरण है। केवल रेत के कणों या वायु के अणुओं का अध्ययन कर के यह कठिन है कि यह अनुमान लगाया जाये कि इनके मिले-जुले तंत्र में ऐसी लहरे स्वयं ही निर्मित होंगी।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. The Emergent Universe Archived 2019-03-21 at the वेबैक मशीन: An interactive introduction to emergent phenomena, from ant colonies to Alzheimer's.
  2. Exploring Emergence: An introduction to emergence using Cellular automaton and Conway's Game of Life from the MIT Media Lab
  3. ISCE group Archived 2018-03-28 at the वेबैक मशीन: Institute for the Study of Coherence and Emergence.
  4. Towards modeling of emergence Archived 2018-04-07 at the वेबैक मशीन: lecture slides from Helsinki University of Technology