उदार अंतर्राष्ट्रीयवाद
उदार अंतर्राष्ट्रीयवाद, जिसे अंतर्राष्ट्रीय उदारवाद भी कहते हैं, विदेश नीति सम्बन्धी एक सिद्धान्त है जिसके दो मुख्य बिंदु है। पहला - अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में भागीदार देश को बहुपक्षीय समझौतों द्वारा उदार लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिये। दूसरा - उदार लक्ष्य को पाने के लिए उदार राज्यों को अन्य राज्यों में हस्तक्षेप करना चाहिए। हस्तक्षेप का रूप सैन्य आक्रमण भी हो सकता है और मानवीय सहायता भी हो सकती है। इस सिद्धांत के आलोचक, जैसे कि अलगाववादी, यथार्थवादी, एवं प्रतिहस्तक्षेपवादी, इसे उदारवादी हस्तक्षेपवाद कहते हैं।
इतिहास
संपादित करेंउदार अंतर्राष्ट्रीयवाद अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक प्रणाली को समझने के लिए एक मत है। यह सिद्धांत उन्नीसवी सदी में ब्रिटिश विदेश सचिव एवं प्रधान मंत्री सामन्त पामर्स्टन के साथ आरंभ हुइ। बीसवी सदी के दूसरे दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने भी इस सिद्धांत को माना, और इसके पश्चात इसे विल्सनवाद भी कहा गया। [1] जॉन इकेनबेरी और डैनियल ड्यूडनी ने उदार अंतर्राष्ट्रीयवाद को फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट की विदेश नीति सोच से जोड़ा है। [2] [3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Stanley Hoffmann, "The Crisis of Liberal Internationalism, Foreign Policy, No. 98 (Spring, 1995), pp. 159–177.
- ↑ Ikenberry, Daniel Deudney, G. John. "The Intellectual Foundations of the Biden Revolution". Foreign Policy (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-08-04.
- ↑ Drezner, Daniel (2021). "Perspective | Roosevelt redux?". Washington Post (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0190-8286. अभिगमन तिथि 2021-08-04.