उद्दीप्त उत्सर्जन या उद्दीपित उत्सर्जन (स्टिमुलेटेड एमिशन) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक उत्तेजित इलेक्ट्रॉन (अथवा उत्तेजित आण्विक अवस्था) किसी निश्चित आवृति की विद्युतचुम्बकीय तरंग से अन्योन्य क्रिया के पश्चात इस क्षेत्र की समकक्ष ऊर्जा के किसी निम्न स्तर में चला जाता है। इस अवस्था में उत्सर्जित फोटोन की कला, आवृत्ति, ध्रुवण और दिशा आपतित फोटोन के समान होंगे। अतः यह स्वतः उत्सर्जन (spontaneous emission) से भिन्न है जो बिना किसी बाहरी विद्युत क्षेत्र पर निर्भर नहीं होता। तथापि प्रक्रिया आण्विक अवशोषण के रूप में समतुल्य है जिसमें एक अवशोषित फोटोन की ऊर्जा समतुल्य कार्य करती है लेकिन विपरित संक्रमण के साथ निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर की ओर।

भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान में यह अति महत्वपूर्ण है कि इलेक्ट्रॉनों की विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से अन्योन्य क्रिया किस तरह होती है। चिरसम्मत धारणा के अनुसार इलेक्ट्रोन की ऊर्जा बढ़ने पर वह नाभिक से दूर की कक्षा में चक्कर लगाने लगेगा। लेकिन क्वांटम यांत्रिकी उस इलेक्ट्रोन को विविक्त कक्ष में जाने की अनुमति देती है। अतः इलेक्ट्रॉन परमाणु के विशिष्ट ऊर्जा स्तरों में ही पाया जा सकता है, उनमें से दो को निम्न चित्र में निरूपित किया गया है:

 

गणितीय प्रतिमान

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जहाँ h प्लांक नियतांक है।

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  • Alan Corney (1977). Atomic and Laser Spectroscopy. Oxford: Oxford Uni. Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-921145-0 (Pbk.) 978-0-19-921145-6 (Pbk.) |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character (मदद).