वेद शब्द का अर्थ 'ज्ञान' है। वेद-पुरुष के शिरोभाग को उपनिषद् कहते हैं। उप (व्यवधानरहित) नि (सम्पूर्ण) षद् (ज्ञान)। किसी विषय के होने न होने का निर्णय ज्ञान से ही होता है। अज्ञान का अनुभव भी ज्ञान ही कराता है। अतः ज्ञान को प्रमाणित करने के लिए ज्ञान से भिन्न किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है। उपनिषद् का अन्य अर्थ उप (समीप) निषत् -निषीदति-बैठनेवाला। अर्थात- जो उस परम तत्त्व के समीप बैठता हो।

मुक्तिकोपनिषद् में एक सौ आठ (१०८) उपनिषदों का वर्णन आता है, इसके अतिरिक्त अडियार लाइब्रेरी मद्रास से प्रकाशित संग्रह में से १७९ उपनिषदों के प्रकाशन हो चुके हैं। गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद (१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२) देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः-

कुल ज्ञात उपनिषद
  • १-ईशावास्योपनिषद् (शुक्लयजर्वेदीय)
  • २-अक्षिमालिकौपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • ३-अथर्वशिखोपनिषद् (सामवेद)
  • ४-अथर्वशिर उपनिषद् (सामवेद)
  • ५-अद्वयतारकोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ६-अद्वैतोपनिषद्
  • ७-अद्वैतभावनोपनिषद्
  • ८-अध्यात्मोपनिषद् (शुक्लयजर्वेदीय)
  • ९-अनुभवसारोपनिषद्
  • १०-अन्नपुर्णोंपनिषद् (सामवेद)
  • ११-अमनस्कोपनिषद्
  • १२-अमृतनादोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १३-अमृतबिन्दूपनिषद् (ब्रह्मबिन्दूपनिषद्) (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १४-अरुणोपनिषद्
  • १५अल्लोपनिषद
  • १६-अवधूतोपनिषद् (वाक्यात्मक एवं पद्यात्मक) (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १७-अवधूतोपनिषद् (पद्यात्मक)
  • १८-अव्यक्तोपनिषद् (सामवेद)
  • १९-आचमनोपनिषद्
  • २०-आत्मपूजोपनिषद्
  • २१-आत्मप्रबोधनोपनिषद् (आत्मबोधोपनिषद्) (ऋग्वेदीय)
  • २२-आत्मोपनिषद् (वाक्यात्मक) (सामवेद)
  • २३-आत्मोपनिषद् (पद्यात्मक)
  • २४-आथर्वणद्वितीयोपनिषद्
  • २५-आयुर्वेदोपनिषद्
  • २६-आरुणिकोपनिषद् (आरुणेय्युपनिषद्) (सामवेद)
  • २७-आर्षेयोपनिषद्
  • २८-आश्रमोपनिषद्
  • २९-इतिहासोपनिषद् (वाक्यात्मक एवं पद्यात्मक)
  • ३०-ईसावास्योपनिषद
  • उपनषत्स्तुति (शिव रहस्यान्तर्गत, अभी तक अनुपलब्ध है।)
  • ३१-ऊध्वर्पण्ड्रोपनिषद् (वाक्यात्मक एवं पद्यात्मक)
  • ३२-एकाक्षरोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ३३-ऐतेरेयोपनिषद् (अध्यायात्मक) (ऋग्वेदीय)
  • ३४-ऐतेरेयोपनिषद् (खन्ड़ात्मक)
  • ३५-ऐतेरेयोपनिषद् (अध्यायात्मक)
  • ३६-कठरुद्रोपनिषद् (कण्ठोपनिषद्) (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ३७-कठोपनिषद्
  • ३८-कठश्रुत्युपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ३९-कलिसन्तरणोपनिषद् (हरिनामोपनिषद्) (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ४०-कात्यायनोपनिषद्
  • ४१-कामराजकीलितोद्धारोपनिषद्
  • ४२-कालाग्निरुद्रोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ४३-कालिकोपनिषद्
  • ४४-कालिमेधादीक्षितोपनिषद्
  • ४५-कुण्डिकोपनिषद् (सामवेद)
  • ४६-कृष्णोपनिषद् (सामवेद)
  • ४७-केनोपनिषद् (सामवेद)
  • ४८-कैवल्योपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ४९-कौलोपनिषद्
  • ५०-कौषीतकिब्राह्मणोपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • ५१-क्षुरिकोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ५२-गणपत्यथर्वशीर्षोपनिषद् (सामवेद)
  • ५३-गणेशपूर्वतापिन्युपनिषद् (वरदपूर्वतापिन्युपनिषद्)
  • ५४-गणेशोत्तरतापिन्युपनिषद् (वरदोत्तरतापिन्युपनिषद्)
  • ५५-गर्भोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ५६-गान्धर्वोपनिषद्
  • ५७-गायत्र्युपनिषद्
  • ५८-गायत्रीरहस्योपनिषद्
  • ५९-गारुड़ोपनिषद् (वाक्यात्मक एवं मन्त्रात्मक) (सामवेद)
  • ६०-गुह्यकाल्युपनिषद्
  • ६१-गुह्यषोढ़ान्यासोपनिषद्
  • ६२-गोपालपूर्वतापिन्युपनिषद् (सामवेद)
  • ६३-गोपालोत्तरतापिन्युपनिषद्
  • ६४-गोपीचन्दनोपनिषद्
  • ६५-चतुर्वेदोपनिषद्
  • ६६-चाक्षुषोपनिषद् (चक्षरुपनिषद्, चक्षुरोगोपनिषद्, नेत्रोपनिषद्)
  • ६७-चित्त्युपनिषद्
  • ६८-छागलेयोपनिषद्
  • ६९-छान्दोग्योपनिषद् (सामवेद)
  • ७०जाबालदर्शनोपनिषद् (सामवेद)
  • ७१-जाबालोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ७२-जाबाल्युपनिषद् (सामवेद)
  • ७३-तारसारोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ७४-तारोपनिषद्
  • ७५-तुरीयातीतोपनिषद् (तीतावधूतो०) (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ७६-तुरीयोपनिषद्
  • ७७-तुलस्युपनिषद्
  • ७८-तेजोबिन्दुपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ७९-तैत्तरीयोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ८०-त्रिपादविभूतिमहानारायणोपनिषद् (सामवेद)
  • ८१-त्रिपुरातापिन्युपनिषद् (सामवेद)
  • ८२-त्रिपुरोपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • ८३-त्रिपुरामहोपनिषद्
  • ८४-त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ८५-त्रिसुपर्णोपनिषद्
  • ८६-दक्षिणामूर्त्युपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ८७-दत्तात्रेयोपनिषद् (सामवेद)
  • ८८-दत्तोपनिषद्
  • ८९-दुर्वासोपनिषद्
  • ९०- (१) देव्युपनिषद् (पद्यात्मक एवं मन्त्रात्मक) (सामवेद) * (२) देव्युपनिषद् (शिवरहस्यान्तर्गत-अनुपलब्ध)
  • ९१-द्वयोपनिषद्
  • ९२-ध्यानबिन्दुपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ९३-नादबिन्दुपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • ९४-नारदपरिब्राजकोपनिषद् (सामवेद)
  • ९५-नारदोपनिषद्
  • ९६-नारायणपूर्वतापिन्युपनिषद्
  • ९७-नारायणोत्तरतापिन्युपनिषद्
  • ९८-नारायणोपनिषद् (नारायणाथर्वशीर्ष) (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • ९९-निरालम्बोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • १००-निरुक्तोपनिषद्
  • १०१-निर्वाणोपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • १०२-नीलरुद्रोपनिषद्
  • १०३-नृसिंहपूर्वतापिन्युपनिषद्
  • १०४-नृसिंहषटचक्रोपनिषद्
  • १०५-नृसिंहोत्तरतापिन्युपनिषद् (सामवेद)
  • १०६-पंचब्रह्मोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १०७-परब्रह्मोपनिषद् (सामवेद)
  • १०८-परमहंसपरिब्राजकोपनिषद् (सामवेद)
  • १०९-परमहंसोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ११०-पारमात्मिकोपनिषद्
  • १११-पारायणोपनिषद्
  • ११२-पाशुपतब्राह्मोपनिषद् (सामवेद)
  • ११३-पिण्डोपनिषद्
  • ११४-पीताम्बरोपनिषद्
  • ११५-पुरुषसूक्तोपनिषद्
  • ११६-पैंगलोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • ११७-प्रणवोपनिषद् (पद्यात्मक)
  • ११८-प्रणवोपनिषद् (वाक्यात्मक
  • ११९-प्रश्नोपनिषद् (सामवेद)
  • १२०-प्राणाग्निहोत्रोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १२१-बटुकोपनिषद (बटुकोपनिषध)
  • १२२-ब्रह्वृचोपोपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • १२३-बाष्कलमन्त्रोपनिषद्
  • १२४-बिल्वोपनिषद् (पद्यात्मक)
  • १२५-बिल्वोपनिषद् (वाक्यात्मक)
  • १२६-बृहज्जाबालोपनिषद् (सामवेद)
  • १२७-बृहदारण्यकोपनिषद् (शुक्लयजर्वेदीय)
  • १२८-ब्रह्मविद्योपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १२९-ब्रह्मोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १३०-भगवद्गीतोपनिषद्
  • १३१-भवसंतरणोपनिषद्
  • १३२-भस्मजाबालोपनिषद् (सामवेद)
  • १३३-भावनोपनिषद् (कापिलोपनिषद्) (सामवेद)
  • १३४-भिक्षुकोपनिष (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • १३५-मठाम्नयोपनिषद्
  • १३६-मण्डलब्राह्मणोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • १३७-मन्त्रिकोपनिषद् (चूलिकोपनिषद्) (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • १३८-मल्लायुपनिषद्
  • १३९-महानारायणोपनिषद् (बृहन्नारायणोपनिषद्, उत्तरनारायणोपनिषद्)
  • १४०-महावाक्योपनिषद्
  • १४१-महोपनिषद् (सामवेद)
  • १४२-माण्डूक्योपनिषद् (सामवेद)
  • १४३-माण्डुक्योपनिषत्कारिका
  • (क)-आगम
  • (ख)-अलातशान्ति
  • (ग)-वैतथ्य
  • (घ)-अद्वैत
  • १४४-मुक्तिकोपनिषद् (शुक्लयजर्वेदीय)
  • १४५-मुण्डकोपनिषद् (सामवेद)
  • १४६-मुद्गलोपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • १४७-मृत्युलांगूलोपनिषद्
  • १४८-मैत्रायण्युपनिषद् (सामवेद)
  • १४९-मैत्रेव्युपनिषद् (सामवेद)
  • १५०-यज्ञोपवीतोपनिषद्
  • १५१-याज्ञवल्क्योपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • १५२-योगकुण्डल्युपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १५३-योगचूडामण्युपनिषद् (सामवेद)
  • १५४-(१) योगतत्त्वोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १५५-(२) योगतत्त्वोपनिषद्
  • १५६-योगराजोपनिषद्
  • १५७-योगशिखोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १५८-योगोपनिषद्
  • १५९-राजश्यामलारहस्योपनिषद्
  • १६०-राधोकोपनिषद् (वाक्यात्मक)
  • १६१-राधोकोपनिषद् (प्रपठात्मक)
  • १६२-रामपूर्वतापिन्युपनिषद् (सामवेद)
  • १६३-रामरहस्योपनिषद् (सामवेद)
  • १६४-रामोत्तरतापिन्युपनिषद्
  • १६५-रुद्रहृदयोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १६६-रुद्राक्षजाबालोपनिषद् (सामवेद)
  • १६७-रुद्रोपनिषद्
  • १६८-लक्ष्म्युपनिषद्
  • १६९-लांगूलोपनिषद्
  • १७०-लिंगोपनिषद्
  • १७१-बज्रपंजरोपनिषद्
  • १७२-बज्रसूचिकोपनिषद् (सामवेद)
  • १७३-बनदुर्गोपनिषद्
  • १७४-वराहोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १७५-वासुदेवोपनिषद् (सामवेद)
  • १७६-विश्रामोपनिषद्
  • १७७-विष्णुहृदयोपनिषद्
  • १७८-शरभोपनिषद् (सामवेद)
  • १७९-शाट्यायनीयोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • १८०-शाण्डिल्योपनिषद् (सामवेद)
  • १८१-शारीरकोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १८२-(१) शिवसंकल्पोपनिषद्
  • १८३-(२) शिवसंकल्पोपनिषद्
  • १८४-शिवोपनिषद्
  • १८५-शुकरहस्योपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १८६-शौनकोपनिषद्
  • १८७-श्यामोपनिषद्
  • १८८-श्रीकृष्णपुरुषोत्तमसिद्धान्तोपनिषद्
  • १८९-श्रीचक्रोपनिषद्
  • १९०-श्रीविद्यात्तारकोपनिषद्
  • १९१-श्रीसूक्तम
  • १९२-श्वेताश्वतरोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • १९३-षोढोपनिषद्
  • १९४-संकर्षणोपनिषद्
  • १९५-सदानन्दोपनिषद्
  • १९६-संन्यासोपनिषद् (अध्यायात्मक) (सामवेद)
  • १९७-संन्यासोपनिषद् (वाक्यात्मक)
  • १९८-सरस्वतीरहस्योपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • २००-सर्वसारोपनिषद् (सर्वोप०) (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • २०१-स ह वै उपनिषद्
  • २०२-संहितोपनिषद्
  • २०३-सामरहस्योपनिषद्
  • २०४-सावित्र्युपनिषद् (सामवेद)
  • २०५-सिद्धाँन्तविठ्ठलोपनिषद्
  • २०६-सिद्धान्तशिखोपनिषद्
  • २०७-सिद्धान्तसारोपनिषद्
  • २०८-सीतोपनिषद् (सामवेद)
  • २०९-सुदर्शनोपनिषद्
  • २१०-सुबालोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • २११-सुमुख्युपनिषद्
  • २१२-सूर्यतापिन्युपनिषद्
  • २१३-सूर्योपनिषद् (सामवेद)
  • २१४-सौभाग्यलक्ष्म्युपनिषद् (ऋग्वेदीय)
  • २१५-स्कन्दोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)
  • २१६-स्वसंवेद्योपनिषद्
  • २१७-हयग्रीवोपनिषद् (सामवेद)
  • २१८-हंसषोढोपनिषद्
  • २१९-हंसोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)
  • २२०-हेरम्बोपनिषद्

१०८ उपिनषद

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१०८ उपिनषदों की यह सूची मुक्तिका उपनिषद में १:३०-३९ में दी गयी है :

१९ उपिनषद् शुक्ल यजुर्वेद से हैं और उनका शान्तिपाठ पूर्णमदः से आरम्भ होता है।

३२ उपिनषद कृष्ण यजुर्वेद से हैं और उनका शान्तिपाठ सहनाववतु से आरम्भ होता है।

१६ उपिनषद् सामवेद से हैं और उनका शान्तिपाठ आप्यायन्तु से आरम्भ होता है |

३१ उपिनषद् अथर्ववेद से हैं और उनका शान्तिपाठ भद्रं कर्णेभिः से आरम्भ होता है।

१० उपिनषद् ऋग्वेद से हैं और उनका शान्तिपाठ वण्मे मनिस से आरम्भ होता है।

क्रमांक उपनिषद वर्ग सम्बन्धित वेद
1. ईशा उपनिषद्
ईशावास्य उपनिषद्
मुख्य शुक्ल यजुर्वेद
2. केन उपनिषद् मुख्य सामवेद
3. कठ उपनिषद् मुख्य कृष्ण यजुर्वेद
4. प्रश्न उपनिषद् मुख्य अथर्ववेद
5. मुण्डक उपनिषद् मुख्य अथर्ववेद
6. माण्डुक्य उपनिषद् मुख्य अथर्ववेद
7. तैत्तिरीय उपनिषद् मुख्य कृष्ण यजुर्वेद
8. ऐतरेय उपनिषद् मुख्य ऋग्वेद
9. छान्दोग्य उपनिषद् मुख्य सामवेद
10. बृहदारण्यक उपनिषद् मुख्य शुक्ल यजुर्वेद
11. ब्रह्म उपनिषद् संन्यास कृष्ण यजुर्वेद
12. कैवल्य उपनिषद् शैव कृष्ण यजुर्वेद
13. जाबाल उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
14. श्वेताश्वतर उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
15. हंस उपनिषद् योग शुक्ल यजुर्वेद
16. आरुणेय उपनिषद् संन्यास सामवेद
17. गर्भ उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
18. नारायण उपनिषद् वैष्णव कृष्ण यजुर्वेद
19. परमहंस उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
20. ब्रह्म-बिन्दु-उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
21. अमृत-नाद उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
22. अथर्व-शिर उपनिषद् शैव अथर्ववेद
23. अथर्व-शिख उपनिषद् शैव अथर्ववेद
24. मैत्रायणि उपनिषद् संन्यास सामवेद
25. कौषीतकि उपनिषद् सामान्य ऋग्वेद
26. बृहज्जाबाल उपनिषद् शैव अथर्ववेद
27. नृसिंहतापनी उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
28. कालाग्निरुद्र उपनिषद् शैव कृष्ण यजुर्वेद
29. मैत्रेयि उपनिषद् संन्यास सामवेद
30. सुबाल उपनिषद् सामान्य शुक्ल यजुर्वेद
31. क्षुरिक उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
32. मान्त्रिक उपनिषद् सामान्य शुक्ल यजुर्वेद
33. सर्व-सार उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
34. निरालम्ब उपनिषद् सामान्य शुक्ल यजुर्वेद
35. शुक-रहस्य उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
36. वज्रसूचि उपनिषद् सामान्य सामवेद
37. तेजो-बिन्दु उपनिषद् संन्यास कृष्ण यजुर्वेद
38. नाद-बिन्दु उपनिषद् योग ऋग्वेद
39. ध्यानबिन्दु उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
40. ब्रह्मविद्या उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
41. योगतत्त्व उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
42. आत्मबोध उपनिषद् सामान्य ऋग्वेद
43. परिव्रात् उपनिषद् (नारदपरिव्राजक) संन्यास अथर्ववेद
44. त्रिषिखि उपनिषद् योग शुक्ल यजुर्वेद
45. सीता उपनिषद् शाक्त अथर्ववेद
46. योगचूडामणि उपनिषद् योग सामवेद
47. निर्वाण उपनिषद् संन्यास ऋग्वेद
48. मण्डलब्राह्मण उपनिषद् योग शुक्ल यजुर्वेद
49. दक्षिणामूर्ति उपनिषद् शैव कृष्ण यजुर्वेद
50. शरभ उपनिषद् शैव अथर्ववेद
51. स्कन्द उपनिषद् (त्रिपाद्विभूति) सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
52. महानारायण उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
53. अद्वयतारक उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
54. रामरहस्य उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
55. रामतापणि उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
56. वासुदेव उपनिषद् वैष्णव सामवेद
57. मुद्गल उपनिषद् सामान्य ऋग्वेद
58. शाण्डिल्य उपनिषद् योग अथर्ववेद
59. पैंगल उपनिषद् सामान्य शुक्ल यजुर्वेद
60. भिक्षुक उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
61. महत् उपनिषद् सामान्य सामवेद
62. शारीरक उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
63. योगशिखा उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
64. तुरीयातीत उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
65. संन्यास उपनिषद् संन्यास सामवेद
66. परमहंस-परिव्राजक उपनिषद् संन्यास अथर्ववेद
67. अक्षमालिक उपनिषद् शैव ऋग्वेद
68. अव्यक्त उपनिषद् वैष्णव सामवेद
69. एकाक्षर उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
70. अन्नपूर्ण उपनिषद् शाक्त अथर्ववेद
71. सूर्य उपनिषद् सामान्य अथर्ववेद
72. अक्षि उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
73. अध्यात्मा उपनिषद् सामान्य शुक्ल यजुर्वेद
74. कुण्डिक उपनिषद् संन्यास सामवेद
75. सावित्रि उपनिषद् सामान्य सामवेद
76. आत्मा उपनिषद् सामान्य अथर्ववेद
77. पाशुपत उपनिषद् योग अथर्ववेद
78. परब्रह्म उपनिषद् संन्यास अथर्ववेद
79. अवधूत उपनिषद् संन्यास कृष्ण यजुर्वेद
80. त्रिपुरातपनि उपनिषद् शाक्त अथर्ववेद
81. देवि उपनिषद् शाक्त अथर्ववेद
82. त्रिपुर उपनिषद् शाक्त ऋग्वेद
83. कठरुद्र उपनिषद् संन्यास कृष्ण यजुर्वेद
84. भावन उपनिषद् शाक्त अथर्ववेद
85. रुद्र-हृदय उपनिषद् शैव कृष्ण यजुर्वेद
86. योग-कुण्डलिनि उपनिषद् योग कृष्ण यजुर्वेद
87. भस्म उपनिषद् शैव अथर्ववेद
88. रुद्राक्ष उपनिषद् शैव सामवेद
89. गणपति उपनिषद् शैव अथर्ववेद
90. जाबालदर्शन उपनिषद् योग सामवेद
91. तारसार उपनिषद् वैष्णव शुक्ल यजुर्वेद
92. महावाक्य उपनिषद् योग अथर्ववेद
93. पञ्च-ब्रह्म उपनिषद् शैव कृष्ण यजुर्वेद
94. प्राणाग्नि-होत्र उपनिषद् सामान्य कृष्ण यजुर्वेद
95. गोपाल-तपणि उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
96. कृष्ण उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
97. याज्ञवल्क्य उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
98. वराह उपनिषद् संन्यास कृष्ण यजुर्वेद
99. शात्यायनि उपनिषद् संन्यास शुक्ल यजुर्वेद
100. हयग्रीव उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
101. दत्तात्रेय उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
102. गारुड उपनिषद् वैष्णव अथर्ववेद
103. कलि-सण्टारण उपनिषद् वैष्णव कृष्ण यजुर्वेद
104. जाबाल उपनिषद् (सामवेद) शैव सामवेद
105. सौभाग्य उपनिषद् शाक्त ऋग्वेद
106. सरस्वती-रहस्य उपनिषद् शाक्त कृष्ण यजुर्वेद
107. बह्वृच उपनिषद् शाक्त ऋग्वेद
108. मुक्तिक उपनिषद् सामान्य शुक्ल यजुर्वेद


वेद-उपनिषद संबंध
वेद संख्या[1] मुख्य[2] सामान्य संन्यास[3] शाक्त[4] वैष्णव[5] शैव[6] योग[7]
ऋग्वेद १० ऐतरेय, कौषीतकि आत्मबोध, मुद्गल निर्वाण त्रिपूरा, सौभाग्य लक्ष्मी, बहवृच - अक्षमालिका नादबिंदु
सामवेद १६ छांदोग्य, केन वज्रसुचिक, महा, सावित्री आरूणीक, मैत्रेय, बृहत-संन्यास, कुंडिक (लघु-संन्यास) - वासुदेव, अव्यक्त रुद्राक्षजबाल, जाबाली योग चुडामणी, दर्शन
कृष्ण यजुर्वेद ३२ तैत्तिरीय, कठ, श्वेताश्वर, मैत्रायणी[note 1] सर्वसार, सुखरहस्य, स्कंध, गर्भ, शारीरक, एकाक्षर, अक्षि ब्रह्म, (लधु, बृहद) अवधूत, कठश्रुति सरस्वतीरहस्य नारायण, कलि-संतरण कैवल्य, कालाग्नि रुद्र, दक्षिणामूर्ति, रुद्रहृदय, पंचब्रह्म अमृतबिंदु, तेजोबिंदु, अमृतनाद, क्षुरीक, ध्यानबिंदु, ब्रह्मविद्या, योगतत्व, योगशिखा, योगकुंडलिनी, वराह
शुकल यजुर्वेद १९ बृहदारण्यक, इशावास्य सुबल, मांत्रिक, नीरालंब, पिंगळ, अध्यात्म, मुक्तिका जाबला, परमहंस, भिक्षुक, तुरियातीता-अवधुत, याज्ञवल्क्य, सत्य्यानिया - तार-सार - अद्वयतारक, हंस, त्रिशिखी, मंडल
अथर्ववेद ३१ मुंडक, मांडुक्य, प्रश्न आत्मा, सूर्य, प्रांगनिहोत्रा[9] अशर्म, नारद-परिव्राजक, परमहंस परिव्राजक, परब्रह्म सीता, देवी, त्रिपुरातापनि, भावना नृसिंहतापनी, महानारायण (त्रिपद्विभूति), रामरहस्य, रामतापणी, गोपालतपणि, कृष्ण, हयग्रीव, दत्तात्रेय, गरुड अथर्वशिर,[10] अथर्वशिख, बृहज्जबाल, शरभ, भस्मजाबाल, गणपति शांडिल्य, पाशुपत, महावाक्य
कुल उपनिषद १०८ १३[note 2] २१ १९ १४ १३ २०

बाहरी कड़ियाँ

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उपनिषद् सूची  
ईश (उपनिषद्)केन (उपनिषद्)कठ (उपनिषद्)प्रश्न (उपनिषद्)मुण्डक (उपनिषद्)माण्डुक्य (उपनिषद्)तैत्तिरीय (उपनिषद्)ऐतरेय (उपनिषद्)छान्दोग्य (उपनिषद्)बृहदारण्यक (उपनिषद्)ब्रह्म (उपनिषद्)कैवल्य (उपनिषद्)जाबाल (उपनिषद्)श्वेताश्वतर (उपनिषद्)हंस (उपनिषद्)आरुणेय (उपनिषद्)गर्भ (उपनिषद्)नारायण (उपनिषद्)परमहंस (उपनिषद्)अमृत-बिन्दु (उपनिषद्)अमृत-नाद (उपनिषद्)अथर्व-शिर (उपनिषद्)अथर्व-शिख (उपनिषद्)मैत्रायणि (उपनिषद्)कौषीताकि (उपनिषद्)बृहज्जाबाल (उपनिषद्)नृसिंहतापनी (उपनिषद्)कालाग्निरुद्र (उपनिषद्)मैत्रेयि (उपनिषद्)सुबाल (उपनिषद्)क्षुरिक (उपनिषद्)मन्त्रिक (उपनिषद्)सर्व-सार (उपनिषद्)निरालम्ब (उपनिषद्)शुक-रहस्य (उपनिषद्)वज्र-सूचिक (उपनिषद्)तेजो-बिन्दु (उपनिषद्)नाद-बिन्दु (उपनिषद्)ध्यानबिन्दु (उपनिषद्)ब्रह्मविद्या (उपनिषद्)योगतत्त्व (उपनिषद्)आत्मबोध (उपनिषद्)परिव्रात् (उपनिषद्)त्रि-षिखि (उपनिषद्)सीतोपनिषद् (उपनिषद्)योगचूडामणि (उपनिषद्)निर्वाण (उपनिषद्)मण्डलब्राह्मण (उपनिषद्)दक्षिणामूर्ति (उपनिषद्)शरभ (उपनिषद्)स्कन्द (उपनिषद्)महानारायण (उपनिषद्)अद्वयतारक (उपनिषद्)रामरहस्य (उपनिषद्)रामतापणि (उपनिषद्)वासुदेव (उपनिषद्)मुद्गल (उपनिषद्)शाण्डिल्य (उपनिषद्)पैंगल (उपनिषद्)भिक्षु (उपनिषद्)महत्-शारीरक (उपनिषद्)योगशिखा (उपनिषद्)तुरीयातीत (उपनिषद्)संन्यास (उपनिषद्)परमहंस-परिव्राजक (उपनिषद्)अक्षमालिक (उपनिषद्)अव्यक्त (उपनिषद्)एकाक्षर (उपनिषद्)अन्नपूर्ण (उपनिषद्)सूर्य (उपनिषद्)अक्षि (उपनिषद्)अध्यात्मा (उपनिषद्)कुण्डिकोपनिषद् (उपनिषद्)सावित्रि (उपनिषद्)आत्मा (उपनिषद्)पाशुपत (उपनिषद्)परब्रह्म (उपनिषद्)अवधूत (उपनिषद्)त्रिपुरातपनोपनिषद् (उपनिषद्)देवि (उपनिषद्)त्रिपुर (उपनिषद्)कर (उपनिषद्)भावन (उपनिषद्)रुद्र-हृदय (उपनिषद्)योग-कुण्डलिनि (उपनिषद्)भस्मोपनिषद् (उपनिषद्)रुद्राक्ष (उपनिषद्)गणपति (उपनिषद्)दर्शन (उपनिषद्)तारसार (उपनिषद्)महावाक्य (उपनिषद्)पञ्च-ब्रह्म (उपनिषद्)प्राणाग्नि-होत्र (उपनिषद्)गोपाल-तपणि (उपनिषद्)कृष्ण (उपनिषद्)याज्ञवल्क्य (उपनिषद्)वराह (उपनिषद्)शात्यायनि (उपनिषद्)हयग्रीव (उपनिषद्)दत्तात्रेय (उपनिषद्)गारुड (उपनिषद्)कलि-सण्टारण (उपनिषद्)जाबाल(सामवेद) (उपनिषद्)सौभाग्य (उपनिषद्)सरस्वती-रहस्य (उपनिषद्)बह्वृच (उपनिषद्)मुक्तिक (उपनिषद्)
  1. Parmeshwaranand 2000, पृ॰प॰ 404–406.
  2. Peter Heehs (2002), Indian Religions, New York University Press, ISBN 978-0814736500, pages 60-88
  3. Patrick Olivelle (1992), The Samnyasa Upanisads, Oxford University Press, ISBN 978-0195070453, pages x-xi, 5
  4. AM Sastri, The Śākta Upaniṣads, with the commentary of Śrī Upaniṣad-Brahma-Yogin, Adyar Library, साँचा:Oclc
  5. AM Sastri, The Vaishnava-upanishads: with the commentary of Sri Upanishad-brahma-yogin, Adyar Library, साँचा:Oclc
  6. AM Sastri, The Śaiva-Upanishads with the commentary of Sri Upanishad-Brahma-Yogin, Adyar Library, साँचा:Oclc
  7. The Yoga Upanishads TR Srinivasa Ayyangar (Translator), SS Sastri (Editor), Adyar Library
  8. Paul Deussen, Sixty Upanishads of the Veda, Volume 1, Motilal Banarsidass, ISBN 978-8120814684, pages 217-219
  9. Prāṇāgnihotra is missing in some anthologies, included by Paul Deussen (2010 Reprint), Sixty Upanishads of the Veda, Volume 2, Motilal Banarsidass, ISBN 978-8120814691, page 567
  10. Atharvasiras is missing in some anthologies, included by Paul Deussen (2010 Reprint), Sixty Upanishads of the Veda, Volume 2, Motilal Banarsidass, ISBN 978-8120814691, page 568


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