उमर मारवी
उमर और मारवी की कहानी अपने देश, अपनी जमीन और अपने परिजनों के प्रति प्यार की कहानी है। सिंध के एक गांव की सुंदर लड़की और सिंध के एक ऐसे राजा के धैर्य और न्याय की कहानी है, जो प्रेम में पड़ कर मारवी का अपहरण कर अपने राज्य के किले ने ले जा कर रखता हैं मगर कोई जोर जबरदस्ती नहीं करता, उमर मारवी से प्रेम निवेदन करता है, उसे मनाने और अपना प्रेम स्वीकार करने का आग्रह करता है। मगर जब वो नहीं मानती तो मारवी को स्वयं उसके घर वापस छोड़ने जाता है। यह एक अद्भुत प्रेम की कहानी है। यह तत्कालीन सिंध के गरीबों और अभिजात वर्ग की कहानी ही नहीं है, बल्कि यह सिंध के उच्च सामाजिक मूल्यों का प्रतिबिंब है, यही कारण है कि यह सदियों से सिंध में प्रसिद्ध और लोकप्रिय है।
"उमर मारवी की अद्भुत लोक कथा"
सिंध में स्थित थार रेगिस्तान का क्षेत्र अपनी निराली संस्कृति और खास परंपराओं के लिए जाना जाता है। चौदहवीं शताब्दी की कही जाने वाली इस लोककथा का नायक उमरकोट का "राजा उमर सूमरो" है और नायिका एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली "मारवी"। इस लोक कथा का उल्लेख शाह लतीफ की "शाह जो रिसालो" में भी मिलता है। सिंधी स्वर कोकिला भगवंती नावाणी ने भी इसे बहुत सुंदर तरीके से पेश किया है। अनेक लोगों ने इस कहानी को अपने अपने तरीकों से बयान किया है, मैंने भी मूल कहानी तक पहुंचने की यथा संभव कोशिश की है। देखें आपको कैसी लगती है ये कहानी...
भूमिका:- कहानी की मुख्य पात्र मारवी है, जो पन्हवार जनजाति की एक युवा खासखेली लड़की है, जिसे अमरकोट के तत्कालीन शासक उमर सूमरो ने अपहरण कर लिया था, जो उसकी सुंदरता के कारण उससे शादी करना चाहता था। उसके इनकार करने पर, उसे कई वर्षों तक ऐतिहासिक अमरकोट किले में कैद रखा गया था, मगर अंततः उसे हार माननी पड़ी और मारवी को उसके गांव वापस पहुंचना पड़ा। एक राजा का इतना सच्चा होना भी इस कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और मारवी के अपनी मिट्टी और मातृभूमि के प्रति प्रेम इस कहानी का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा है। शायद इसी कारण से एक अपहरण करने वाले नायक और एक असहमत नायिका के नाम से विख्यात ये कहानी एक अलग ही नजरिया पेश करती है। सदियों से सिंधी समाज में उमर और मारवी की इस कहानी को बहुत गर्व और उत्साह के साथ सुनाया जाता है। कई कलाकारों, खासकर प्रख्यात सिंधी कवि शाहअब्दुल लतीफ ने इस दास्तान के अलग-अलग पहलुओं का बहुत खूबसूरती से बखान किया है। इसी कारण मारवी को वतन परस्ती और अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहने के फितूर की अनोखी मिसाल माना जाता है और अपनी मिट्टी परिवार और समाज की इज्जत को महफूज रखने के लिए बड़ी से बड़ी हस्ती के सामने निडर खड़े रहने और किसी के सामने नही झुकने का नाम है मारवी, अपने ग़ोठ् (सिंधी भाषा में गांव) के प्रति उदार प्रेम और मिट्टी के लिए वफादारी को दर्शाती इस भावना प्रधान कहानी की नायिका है "मारवी"....
अद्भुत प्रेम कहानी नायिका मारवी बेहद हसीन थी, वो अपने माता पिता के साथ एक छोटे से गांव भलवा (जो वर्तमान के सिंध पाकिस्तान के नगरपारकर इलाके के पास है) में रहती थी। उमरकोट के राजा उमर सूमरो ने उसके हुस्न और खूबसूरती के चर्चे सुने तो वो उत्सुकता में अपने जज्बातों पर काबू ना कर सका और उसने भलवा की तरफ कूच कर दिया । दोपहर के वक्त जब वो गांव में पहुंचा तो मारवी कुंए पर पानी भरने आई हुई थी। उमर ने मारवी को एक झलक देखा और उस पर इस हद तक फिदा हो गया कि वो उसी वक्त मारवी को अगवा कर अमर कोट की तरफ चल पड़ा। उमर ने मारवी से शादी की पेशकश की और ऐशो आराम की जिंदगी का वादा किया मगर मारवी ने उसे ठुकरा दिया। मारवी की इस गुस्ताखी पर गुस्से और मायूसी से भरे बादशाह ने मारवी को तब तक किले में क़ैद रखने का हुकुम दे दिया जब तक वो शादी के लिए राज़ी ना हो जाए। अगले कुछ महीनो में बादशाह उमर ने मारवी से कई बार मिन्नते करते हुए अपने प्रेम का इजहार किया तथा उसे महंगी पोशाकें जेवर और अन्य कई राजसी ठाठ के लालच भी दिए मगर वो मारवी को मनाने में कामयाब न हुआ। तमाम मुश्किल हालात और अपने घर, परिवार और अपनी जमीन से दूर रहने के इस मुश्किल समय में भी मारवी ने हिम्मत नहीं हारी और वो उमर से बस यही जिद करती रही कि उसे अपनी मिट्टी, अपने वतन और अपने लोगों के बीच वापिस जाना है। तकरीबन दो साल तक सभी हथकंडे अपनाने के बावजूद भी जब बादशाह उमर की कोशिशों का कुछ अंजाम ना निकला तो उसने आखिर हार मान ली और उसने भलवा गांव के लिए संदेश भिजवाया कि वो खुद मारवी को वापस छोड़ने आ रहा है,और फिर खुद ही मारवी को उसके गांव तक छोड़ने आया।
जब गांव के लोगों ने उमर की अच्छी नीयत और मोरवी की पवित्रता के बारे में सवाल किया तो उमर ने अपनी नेक नियती और मारवी के सच के लिए कोई भी इम्तिहान देने की बात कही। और खुद गांव वालों के सामने लोहे के एक गर्म सरिए को अपने नंगे हाथ में पकड़ कर मारवी के मान सम्मान और पवित्रता को साबित करने का इम्तिहान भी बेहिचक दे दिया, और अपने नगर उमरकोट वापस चला गया। मारवी भी अपने गांव परिवार और प्रियजनों के साथ रहने लगी। ऐसी है ये लोककथा.... संकलन हेमंत जगत्यानी छत्तीसगढ़