उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में उर्दू को भारतीय उपमहाद्वीप के सभी मुसलमानों की भाषा तथा सांस्कृतिक-राजनीतिक पहचान की भाषा बनाने का सामाजिक-राजनैतिक प्रयास उर्दू आन्दोलन कहलाता है। यह आन्दोलन मुगल साम्राज्य के पतन के बाद आरम्भ हुआ तथा अलीगढ़ आन्दोलन से इसको बल मिला। उर्दू आन्दोलन का आल इंडिया मुस्लिम लीग तथा पाकिस्तान आन्दोलन पर बहुत प्रभाव पड़ा। इसके अलावा १९५२ में उर्दू के कारण ही पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में बंगाली भाषा आन्दोलन आरम्भ हुआ।

ज़ुबान-ए-उर्दू-ए-मुअल्ला नस्तलीक़ में

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