उलरिक़ बेक (मई 15, 1944 – जनवरी 1, 2015) प्रसिद्ध जर्मन समाजशास्त्री तथा अपने जीवनकाल में सबसे अधिक उद्धृत सामाजिक वैज्ञानिकों में से एक थे।[1] उनका कार्य आधुनिक काल में असहनीयता, अनभिज्ञता और अनिश्चितता के प्रश्नों पर केन्द्रित था। उन्होंने "रिस्क सोसाइटी" (सामाजिक जोखिम) और "सेकण्ड मोडर्नीटी" (दूसरी आधुनिकता) अथवा "रिफ्लेक्सिव मोडर्नाइज़ेशन" (कर्मकर्त्ता आधुनिकीकरण) जैसे शब्दों को गढ़ा।

जर्मनी के ुलरिक बेक जो कि वहां और वह बहुत प्रसिद्ध है।

बेक का जन्म जर्मनी के पोमेरनियन कस्बे (वर्तमान में पोलैण्ड के स्लुप्स्क में) में 1944 में हुआ और उनका पालन पोषण हनोवर में हुआ। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा फ्रायबर्ग विश्वविद्यालय में विधि (कानून) में की। सन् 1966 से और उसके बाद उन्होंने मुनिख़ से समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानस शास्त्र और राजनीति विज्ञान में की। पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद वर्ष 1972 से, वो मुनिख़ में समाजशास्त्री के रूप में कार्य आरम्भ किया। वर्ष 1979 में उन्होंने विश्वविद्यालय में व्याख्याता के लिए आधिकारिक अर्हता प्राप्त की। उन्होंने म्युएन्स्टर (1979–1981) तथा बमबर्ग (1979–1981) में विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति प्राप्त की। सन् 1992 से निधन के समय तक वो मुनिख़ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर तथा इसी विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र संस्थान के निदेशक रहे। उन्हें विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुये। उन्हें जर्मन समाजशास्त्र समाज के परिषद और कार्यकारी बोर्ड के लिए भी चुना गया।

वर्ष 1999 से 2009 तक बेक, जर्मन शोध फाउंडेशन की देखरेख में स्थापित मुनिख़ क्षेत्र के चार विश्वविद्यालयों के अंतःविषय संघ के प्रतिकारी आधुनिकीकरण शोध केन्द्र 536 के समूह के प्रवक्ता भी रहे।[2][3]

  1. PDF at www.manuelcastells.info
  2. Collaborative Reflexive Modetnization Research Centre 536
  3. Ulrich Beck and Wolfgang Bonß (ed.

बाहरी कड़ियाँ

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