ऍप्सिलन महाश्वान तारा

ऍप्सिलन महाश्वान या अधारा महाश्वान तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है।
(ऍप्सिलन महाश्वान तारे से अनुप्रेषित)

ऍप्सिलन महाश्वान या अधारा, जिसका बायर नाम "ऍप्सिलन कैनिस मेजोरिस" (ε Canis Majoris या ε CMa) है, महाश्वान तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौबीसवा सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक द्वितारा मंडल है।[1]

महाश्वान तारामंडल (हिन्दी नामों के साथ) - ऍप्सिलन महाश्वान तारा ("अधारा") कुत्ते की आकृति के निचले पाऊँ पर स्थित है

अन्य भाषाओँ में संपादित करें

ऍप्सिलन महाश्वान को अंग्रेज़ी में "ऍप्सिलन कैनिस मेजोरिस" (Epsilon Canis Majoris) कहते हैं। "अधारा" (Adhara) भी इसका एक परंपरागत नाम है जो अरबी भाषा के "अधारा" (عذارى‎) शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है "कन्याएँ"।

विवरण संपादित करें

ऍप्सिलन महाश्वान द्वितारे का मुख्य तारा नीले-सफ़ेद रंग का एक B2 श्रेणी का दानव तारा है। इसका सतही तापमान 25,000 कैल्विन और यह हमारे सूरज की 3,700 गुना चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) रखता है। यह हमारे सूरज से 20,000 गुना अधिक विकिरण (रेडियेशन) उर्जा प्रसारित करता है। इसका द्रव्यमान (मास) सूरज के द्रव्यमान का लगभग 10 गुना है और इसका व्यास (डायामीटर) सौर व्यास का लगभग 11 गुना है। इस मुख्य तारे की चमक इतनी तेज़ है के अगर यह पृथ्वी से उतना ही दूर होता जितना व्याध तारा (उर्फ़ सीरियस, जो पृथ्वी पर रात का सबसे रोशन तारा है) है तो आकाश में इसकी चमक शुक्र से भी ज़्यादा होती। ऍप्सिलन महाश्वान के मुख्य तारे की चमक अपने साथी तारे से 250 गुना अधिक है।

काफ़ी अरसे से ऍप्सिलन महाश्वान हमारे सौर मंडल से दूर जा रहा है। आज से 47 लाख साल पहले, ऍप्सिलन महाश्वान पृथ्वी से 34 प्रकाश वर्ष की दूरी पर था और पृथ्वी के आकाश में -3.99 मैग्नीट्यूड के साथ चमकता था, हालाँकि मानव जाति ने यह कभी नहीं देखा क्योंकि तब वह जन्मी ही नहीं थी। इस स्तर की चमक न तो किसी तारे की उसके बाद रही है और न ही आने वाले कम-से-कम 50 लाख सालों तक रहेगी।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Firefly astronomy dictionary, John Woodruff, Firefly Books, 2003, "... The star Epsilon Canis Majoris, magnitude 1.50, 431 light years away, and 3700 times as luminous as the Sun ..."