एक ताल अथवा एकताल हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक ताल है। यह मुख्यतः तबले पर बजाया जाता है। यह एक ऐसा ताल है जिसे विविध लयों में बजाया जा सकता है; ख़याल गायकी के साथ यह अति-विलिम्बित, विलिम्बित लय से लेकर द्रुत ले तक में बजाया जाता है वहीँ तराना गायकी के साथ अथवा द्रुत गतें बजाते समय इसे द्रुत से अति-द्रुत लय तक में बजाया जाता है।[1]

यह चार ताल, जिसे चौताल भी कहते हैं, से काफी मिलता-जुलता है क्योंकि दोनों में मात्राएँ, खंड और ताली-खाली का वितरण एक समान होता है, बस ठेके के बोल अलग होते हैं।[2]

एकल तबला वादन (सोलो) में भी कलाकार इसे काफी पसंद करते हैं।[1]

स्वरुप संपादित करें

एकताल में ताल में कुल 12 मात्राएँ और छह खंड होते हैं। प्रत्येक खंड में दो मात्राएँ आती हैं। 1, 5, 9 और 11वीं मात्रा पर ताली होती है और खाली 3 और 7वीं मात्रा पर 'खाली होती है।

मूल ठेका[3]
धिन् धिन् | धागे तिरकिट |
x 0
तू ना | कत् ता |
2 0
धागे तिरकिट | धिन् ना |
3 4

सन्दर्भ संपादित करें

  1. विजय शंकर मिश्र. ART AND SCIENCE OF PLAYING TABLA. प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रकाशन मंत्रालय, भारत सरकार. पपृ॰ 238–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-230-2104-1.
  2. आभा सक्सेना (2019). नव्यसंगीत प्रवेशिका. प्रतिष्ठा पब्लिशिंग हाउस. पपृ॰ 380–. GGKEY:K8Q8QNZ5T4L.[मृत कड़ियाँ]
  3. अंजू मुंजाल. संगीत मंजूषा. सरस्वती हाउस प्रा. लि. पपृ॰ 101–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5199-685-9.

बाहरी कड़ी संपादित करें