एक घूँट
एक घूँट जयशंकर प्रसाद लिखित एक एकांकी नाटक है, जिसका प्रकाशन सन् १९३० ई॰ में भारती भंडार, इलाहाबाद से हुआ था।[1]
परिचय
संपादित करें'एक घूँट' एकांकी नाटक है जिसमें कोई दृश्य और अंक विभाजन नहीं है। इस नाटक के सन्दर्भ में डॉ॰ सत्यप्रकाश मिश्र ने लिखा है :
"यह वस्तुतः प्रसाद के दार्शनिक या वैचारिक चिन्तन का नाट्य रूपान्तरण जैसा है। प्रसन्नता, आह्लाद, आनन्द, स्वच्छन्द प्रेम आदि को विश्वचेतना के विकास यानी जीवन के लिए इसमें आवश्यक माना गया है। नाटक काफी कुछ पहले के नाटकों की याद दिलाता है। इसमें क्रिया-व्यापार का अभाव है। नाटक की भाषा हरकत की भाषा न होकर चिन्तन की भाषा है। नाटक में अतिवादी आनन्द के अनियंत्रित प्रेम और आनन्द के सिद्धान्त की निरर्थकता प्रदर्शित है।"[2]
इन्हें भी देखें
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