एम॰के॰ बिनोदिनी देवी

मणिपुरी भाषा लेखक
(एम.के. बिनोदिनी देवी से अनुप्रेषित)

महाराज कुमारी बिनोदिनी देवी (6 फ़रवरी 1922 – 17 जनवरी 2011) मणिपुरी भाषा की भारतीय लेखिका थीं। वे दक्षिण पूर्व हिमालयी राज्य पूर्वोत्तर भारत और मणिपुर के पूर्व शाही परिवार की सदस्या थीं।[1]उन्हें साहित्य और शिक्षा के लिए वर्ष 1976 में भारत सरकार के द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

महाराज कुमारी बिनोदिनी देवी
जन्म 06 फ़रवरी 1922
इंफाल, भारत
मौत जनवरी 17, 2011(2011-01-17) (उम्र 88 वर्ष)
पेशा लेखिका और नाटककार

विनोदिनी देवी का जन्म मणिपुर के राजपरिवार में हुआ। उनके पिता राजपरिवार में पश्चिमी शिक्षा प्राप्त पहले व्यक्ति थे। उनकी पढ़ाई शिलांग और शांतिनिकेतन में हुई। वे कलाभवन में पेंटिंग और मूर्तिकला की छात्रा थीं, लेकिन वहां रहते हुए वे रवीन्द्र साहित्य और रवीन्द्र संगीत की गहराई से परिचित हुईं। विनोदिनी देवी ने प्रचुर अनुवाद किए

राजघराने से होने के बावजूद उनके लेखन में वामपंथी रुझान और आम आदमी का दर्द है। ऐतिहासिक उपन्यास 'बोड़ो साहेब ओंग्बी सनातोम्बी' ने साहित्य की दुनिया में मुझे व्यापक पहचान दिलाई। उन्होने कई फीचर फिल्में और वृत्तचित्र बनाए हैं। इनमें से ज्यादातर मणिपुर से जुड़ी हैं। अपने पिता महाराज चूड़ाचंद सिंह की स्मृति में उन्होने जो पुस्तक लिखी जिसमें उन्होने मणिपुर की राजनीतिक स्थिति, मणिपुरी परम्परा और आधुनिकता के बारे में विस्तार से लिखा है।

  1. "Manipuri author Binodini Devi dies at 89" [मणिपुरी लेखिका बिनोदिनी देवी का ८९ की आयु में निधन] (अंग्रेज़ी में). इण्डियन एक्सप्रेस. १९ जनवरी २०११. मूल से 3 मार्च 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 अप्रैल 2014.

बाहरी कड़ियाँ

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