श्रम दक्षता संबंधी विज्ञान

(एर्गोनॉमिक्स से अनुप्रेषित)

श्रम दक्षता संबंधी विज्ञान (अंग्रेज़ी:इर्गोनॉमिक्स) कर्मचारियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए बिना उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाया जा सके, ऐसा विज्ञान होता है। यह कार्य, कार्य स्थल और संबंधित उपस्करों के अभिकल्पन का विज्ञान होता है, जो कर्मचारियों की कार्य क्षमता बढ़ाने में सहायक हो। सही इर्गोनॉमिक डिज़ाइन पुनरावृत्त तनाव क्षति यानि आर.एस.आई. जैसी क्षतियों से बचाव में अत्यंत सहायक होता है। इसको समय के साथ विकसित कर प्रयोग किया जा सकता है व बहुत सी स्वास्थ्य संबंधी दीर्घकालीन विकलांगताओं से बचा जा सकता है। ९०% लोगों को अपने जीवनकाल में किसी न किसी समय रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत से जूझना पड़ता है। ऐसे में काम करने के गलत तरीकों और गलत मुद्राओं में बैठने और काम करने से समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है।[1]

एर्गोनॉमिक्स - कार्य, कार्यस्थल और उपकरण अभिकल्पन विज्ञान

आई.आई.टी, मुंबई के औद्योगिक अभिकल्पना केन्द्र के अध्यक्ष प्रो॰ गौड सी रे के अनुसार एरगोनॉमिक्स विज्ञान पूर्णतया उत्पादन से सम्बंधित है। इसमें बहुत अधिक लागत की आवश्यकता नहीं होती है, किन्तु यह वस्तु की अभिकल्पना करने से पूर्व गहन विचार चाहती है और अच्छी अभिकल्पना का अर्थ अधिक उत्पादकता तथा अर्थव्यवस्था है।[2] नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में बच्चों के हड्डी रोग विशेषज्ञ[3] के अनुसार एर्गोनॉमिक्स यानी व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से दैनिक व्यवहार में आने वाली मशीनों (वर्कस्टेशन) को अपनी आवश्यकतानुसार ढालने का विज्ञान बेहद लाभदायक है। कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिये लाभदायक और सुविधाजनक वर्कस्टेशन उनकी कार्यक्षमता और उपस्थिति में सुधार कर सकते हैं।[1][4] एर्गोनॉमिक्स के अनुसार ढले वर्कस्टेशन्स को कर्मचारियों के बैठने और काम करने के स्वस्थ तौर तरीकों के अनुसार ढाला जा सकता है। इसके द्वारा पीठ दर्द जैसी बहुत सी परेशानियों से बचना आसान रहता है। इस विज्ञान पर आधारित फर्नीचर भी बाजार में आसानी से उपलब्ध है। आकार और गुणवत्ता के आधार पर इसकी कीमत तय होती है। यह फर्नीचर लोगों को काम करने का आरामदेह और स्वस्थ माहौल उपलब्ध करवाता है। इस प्रकार आंतरिक सज्जा विशेषज्ञ (इंटीरियर डिज़ाइनर) के लिए भी एर्गोनॉमिक्स का ज्ञान परमावश्यक होता है, ताकि स्पेस प्लानिंग सही रूप से संभव हो सके।[5]

स्वीडन की एक कंपनी टी.सी.ओ डेवलपमेंट ने मॉनीटरों की पर्यावरण संबंधी संगतता तथा एर्गोनामिक्स के प्रमाणन हेतु अंतर्राष्ट्रीय मानदंड निर्धारित किए हैं।[6] अब इसने प्रोजेक्टरों के लिए भी मानदंडों का वैसा ही एक कैटलाग बनाया है व टीसीओ इमेज साइज नामक एक नया मूल्यांकन प्रारूप विकसित किया है। इस मूल्यांकन में ग्राहकों के लिए उपयुक्त प्रोजेक्टर की पहचान की सुविधाएं दी गई हैं। पर्यावरण अनुकूलता तथा एर्गोनोमिक्स पहलुओं के मद्देनज़र टीसीओ प्रमाण पत्र का यह अर्थ भी होता है कि कोई निर्माता अपनी संपूर्ण मूल्यवर्धित श्रृंखला में अपने सामाजिक उत्तरदायित्व से मुक्त हो रहा है। यह श्रृंखला निर्माण से उत्पाद के नष्ट किए जाने तक की है। वर्ष १९९२ से टीसीओ प्रमाणन कार्यक्रम मॉनिटर के लिए तस्वीरों की संशोधित गुणवत्ता तथा एर्गोनोमिक्स पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ता है और साथ ही आईसीटी उत्पादों से उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तत्वों में कमी लाता है।[6] उर्जा प्रभावशीलता तथा खतरनाक पदार्थ का न्यूनतम प्रयोग भी टीसीओ प्रमाणन के प्रमुख पहलू हैं।

  1. दफ्तरों की दिक्कतों को कम करे 'एर्गोनोमिक्स' वेब दुनिया। १९ फ़रवरी २००८
  2. उत्पादन में स्थानीय जरूरतों का ध्यान जरूरी[मृत कड़ियाँ]। २४दुनिया.कॉम। २२ नवम्बर २००९
  3. डॉ॰ संजय सरूप
  4. एर्गोनॉमिक्स दे स्वस्थ और आसान जीवन[मृत कड़ियाँ]। जोश-१८। १८ फ़रवरी २००८। राधिका भिरानी
  5. इंटीरियर डिजाइनर्स के लिए खुला आसमान Archived 2008-08-29 at the वेबैक मशीन। वेब दुनिया। दिनेश दुबे
  6. वर्ल्ड प्रीमियर : एनईसी प्रोजेक्टरों के लिए टीसीओ सर्टिफिकेशन[मृत कड़ियाँ]। भाषा-प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया।

बाहरी सूत्र

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