ऐलेना गोरोलोवा
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ऐलेना गोरोलोवा (2 जनवरी 1969) एक चेक मानवाधिकार रक्षक है । वह ओस्ट्रावा में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करती है और रोमा मूल की है। [1]
21 साल की उम्र में दूसरे बेटे को जन्म देने के बाद अस्पताल में उनकी जबरन नसबंदी कर दी गई थी। उनको एक और बच्चा होने की उम्मीद थी और उन्होंने प्रक्रिया के लिए सहमति नहीं दी थी। [2] वर्ष 2005 में ऐलेना उन 87 चेक महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने जबरन नसबंदी की शिकायत की थी। [3]
तब से उन्होंने चेक गणतंत्र में रोमा महिलाओं के खिलाफ जबरन नसबंदी और भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया और जबरन नसबंदी के निवारण और जागरूकता की वकालत की। वह जबरन नसबंदी द्वारा महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाले समूह की प्रवक्ता हैं और चेक संगठन वज़ाजेमने सौसिटिक (लाइफ टुगेदर) की सदस्य हैं। [4] [5] [6]
नवंबर 2018 में, उन्हें बीबीसी द्वारा प्रकाशित 2018 के लिए दुनिया भर की 100 प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी। [7]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ Amnesty International (April 2018). "Challenging power" (PDF). The Wire. April - June 2018.
- ↑ ""We have succeeded by speaking out"". www.amnesty.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2018-05-21.
- ↑ Fighting for the fundamental right of a woman’s right to choose
- ↑ "Elena Gorolová, a Roma in the Czech Republic". United Nations. अभिगमन तिथि 20 May 2018.
- ↑ "Elena Gorolová on forced sterilizations: We seek compensation, nobody will ever restore our motherhood". Romea. 8 June 2016. अभिगमन तिथि 20 May 2018.
- ↑ "Spokesperson for the Group of Women Harmed by Forced Sterilization travels to Geneva". romove.radio.cz. अभिगमन तिथि 2018-05-21.
- ↑ Romani activist Elena Gorolová is one of 100 Inspiring Women on the BBC's list for 2018