ऑपरेशन पोलो

हैदराबाद का विलय

ऑपरेशन पोलो सितम्बर 1948 को भारतीय सेना के गुप्त ऑपरेशन का नाम था जिसमें हैदराबाद के आखिरी निजाम को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया।[6] ध्यातव्य है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद जब भारतीय संघ का गठन हो रहा था, हैदराबाद के निजाम ने भारत के बीच में होते हुए भी स्वतंत्र देश रहने की ही कवायत शुरू की थी।

हैदराबाद का विलय
Hyderabad state from the Imperial Gazetteer of India, 1909.jpg
१९०९ में हैदराबाद रियासत (बिरार को छोड़कर)
तिथि 13–18 सितम्बर, 1948
स्थान हैदराबाद रियासत
17°00′N 78°50′E / 17.000°N 78.833°E / 17.000; 78.833
परिणाम Decisive Indian victory
योद्धा
 Dominion of India Flag of हैदराबाद प्रांत हैदराबाद
सेनानायक
भारतीय अधिराज्य Sardar Patel
भारतीय अधिराज्य Roy Bucher
भारतीय अधिराज्य Joyanto Nath Chaudhuri
हैदराबाद प्रांत S.A. El Edroos Surrendered
हैदराबाद प्रांत Qasim Razvi Surrendered
शक्ति/क्षमता
35,000 Indian Armed Forces 22,000 Hyderabad State Forces
est. 200,000 Razakars (Irregular forces)[उद्धरण चाहिए]
मृत्यु एवं हानि
32 killed[1]
Hyderabad State Forces: 807 killed
unknown wounded
1,647 POWs[2]
Razakars:
1,373 killed
1,911 captured[2]
Sunderlal Committee: 30,000 – 40,000 civilians killed[3]
responsible observers: 200,000 civilians killed[4][5]
मेजर जनरल सैयद अहमद अल एदूर्स (दाएँ) मेजर जनरल जयन्त नाथ चौधुरी के सामने सिकन्दराबाद में आत्मसमर्पण करते हुए।

विभाजन के दौरान हैदराबाद भी उन शाही घरानो में से था जिन्हे पूर्ण आजादी दी गई थी हालाँकि 1948 में उनके पास दो ही विकल्प बचे थे भारत या पाकिस्तान में शामिल होना। ज्यादातर हिन्दू आबादी वाले राज्य के मुसलमान शासक और आखिरी निजाम ओस्मान अली खान ने आजाद रहने फैसला किया और अपने साधारण सेना के बल पर राज करने का फैसला किया। निजाम ने ज्यादातर मुस्लिम सैनिको वाली रजाकारों की सेना बनाई।

भारत सरकार उत्सुकता से हैदराबाद की तरफ देख रही थी और सोच रही थी की हैदराबाद के निजाम खुद भारत संघ में सम्मिलित हो जायेंगे। लेकिन राज़करास सेना की दुर्दांतता के कारण सरदार पटेल ने हैदराबाद को जबरदस्ती कब्जाने का फैसला किया था। सरदार पटेल ने ये काम पुलिस के द्वारा किया जिसमे सिर्फ पांच दिन लगे राज़करास की मुस्लिम सेना आसानी से हार गई।

अभियान के दौरान व्यापक तौर पर जातिगत हिंसा हुई थी, अभियान समाप्ति के बाद नेहरू ने इसपे जाँच के लिए एक कमिटी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट साल 2014 सार्वजनिक हुई। अर्थात रिपोर्ट को जारी ही नहीं किया गया था, रिपोर्ट बनाने के लिए सुन्दरलाल कमिटी बानी थी, रिपोर्ट के मुताबिक इस अभियान में 27 से 40 हजार जाने गई थी हालाँकि जानकार ये आंकड़ा दो लाख से भी ज्यादा बताते हैं।

मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना के प्रभाव में हैदराबाद के निजाम नवाब बहादुर जंग ने लोकतंत्र को नहीं माना था, नवाब ने काज़मी रज्मी को जो की एमआईएम ( मजलिसे एत्तहुड मुस्लिमीन) का प्रमुख लीडर था ने राजकारस सेना बनाई थी जो करीब दो लाख क तादात में थी। मुस्लिम आबादी बढ़ने के लिए उसने हैदराबाद में लूटपाट मचा दी थी, जबरन इस्लाम हिन्दू औरतो के रेप सामूहिक हत्याकांड करने शुरू कर दिए थे। क्योंकि हिन्दू हैदराबाद को भारत में चाहते हे मीरपुर नौखालिया नरसंहार ( मुसलमानों ने किया हिन्दुओ पे) उनके जहाँ में थे। पांच हजार से ज्यादा हिन्दुओ को राजकारस मार चुके थे जो की आधिकारिक आंकड़े है, हैदराबाद के निजाम को पाकिस्तान से म्यांमार के रास्ते लगातार हथियार और पैसे की मदद मिल रही थी।

ऑस्ट्रेलिया की कंपनी भी उन्हें हथियार सप्लाई कर रही थी, तब पटेल ने तय किया की इस तरह तो हैदराबाद भारत के दिल में नासूर बन जायेगा और तब आर्मी ऑपरेशन पोलो को प्लान किया गया। कहा जाता है कि ऑपरेशन के बाद में हर जगह सेना ने मुसलमानों को शिनाख्त कर कर के मौत के घाट उत्तर दिया था। इसीलिए आज तक ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई चुनावो से पहले कांग्रेस ने साम्प्रदायिक फायदा उठाने के लिए शायद इसको बहार निकला था। हैदराबाद रियासत

  1. "Official Indian army website complete Roll of Honor of Indian KIA". Indianarmy.nic.in. मूल से 26 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-08-12.
  2. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; mohanGuruswamy नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Sunderlal नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. Smith 1950, पृ॰ 46.
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; NooraniUntold नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  6. "Nizam writ ran after police action till 1950 accession".

इन्हें भी देखिये

संपादित करें