ऑप्टिकल शीट
ऑप्टिल उत्तर पत्रक (अंग्रेज़ी:ऑप्टिकल आंसर शीट) एक तरह का प्रारूप होता है, जिसका प्रयोग बहुविकल्पीय उत्तर वाले प्रश्नों के उत्तर देने में किया जाता है। इसके आधार पर ही प्रश्नों की जांच की जाती है। दृश्य चिह्न पहचान (ऑप्टिकल मार्क रिकॉगनेशन) के आधार पर उत्तरों की जांच की जाती है।[1] सामान्यत: ऑप्टिकल आंसर शीट में काले रंग के गोले या चौकोर संदूक बने रहते हैं, जिन पर पेंसिल या डॉट-पेन से ही उत्तर दिया जाता है। ऑप्टिकल आंसर शीट में ही बार कोड होता है। बार कोड, स्वचालित कार्य (ऑटोमेटिक प्रोसेसिंग) के आधार पर उत्तर की जांच करता है। अधिकातर इनका प्रयोग शिक्षा से जुड़े मामलों में ही किया जाता है। परीक्षार्थी द्वारा प्रारूप में भरी गई जानकारी को उत्तर-पुस्तिका जांच करने वाला ऑप्टिकल स्कैनिंग मशीन में डालता है। यह मशीन प्रोगामिंग के अनुसार सही, गलत उत्तरों की जांच करती है। इस मशीन में ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर (ओ.सी.आर) लगा रहता है। यदि परीक्षा में ऋणात्मक अंकन है, तो स्कैनिंग मशीन, प्रोग्रामिंग के अनुसार नंबरों का आकलन करती है। कई कंपनियों पर कर्मचारी से आरंभ में ऑप्टिकल आंसर शीट भरवाते हैं, जिसमें उसका नाम, पता और बाकी जानकारियां होती है, जो कि स्केनिंग करने के बाद सीधे कंपनी के डाटाबेस में सुरक्षित कर दी जाती है।
ऑप्टिकल पुस्तिका का एक नमूना प्रति]]ऑप्टिकल उत्तर पुस्तिका शीट भरने से पूर्व परीक्षार्थियों को कई तरह के निर्देश दिये जाते हैं, जैसे किसी उत्तर को बार-बार बिगाड़े नहीं, गोले को सही से भरें, क्योंकि ऑप्टिकल आंसर शीट छोटी से छोटी गलतियों को पकड़ सकने में सक्षम होती है। यहां तक कि आंशिक रूप से भरा गया गोला भी इस मशीन के द्वारा पकड़ा नहीं जाएगा, जिसे कॉपी जांचते समय इसे माना नहीं जाएगा। इस मशीन की सहायता से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे समय बचता ही है, साथ ही परीक्षार्थी द्वारा भरे गए उत्तरों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ या बदलाव नहीं किया जा सकता है। भारत में भी कई प्रवेश परीक्षाओं व अन्य परीक्षाओं में ऑप्टिकल उत्तर पुस्तिकाओं के प्रयोग चलन में हैं।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ ऑप्टीकल शीट। हिन्दुस्तान लाइव। २३ फ़रवरी २०१०
- ↑ नए पैटर्न पर होगी 11वीं की परीक्षा। हिन्दुस्तान लाइव।