सर ऑरिल स्टाइन (Aurel Stein, 1862 - 1943) ब्रिटिश पुरातत्वज्ञ थे।

सर ऑरिल स्टाइन
Sir Aurel Stein

Stein in 1909
जन्म Stein Márk Aurél
26 November 1862 (1862-11-26)
Budapest
मृत्यु 26 अक्टूबर 1943(1943-10-26) (उम्र 80)
Kabul, Afghanistan
नागरिकता British
राष्ट्रीयता Hungarian (birth)/British (naturalised)
जातियता Hungarian
क्षेत्र Archaeology
प्रभाव Xuanzang; Sven Hedin

उनका जन्म बुडापेस्ट (हंगरी) तथा मृत्यु काबुल (अफगानिस्तान) में हुई। इनकी शिक्षा प्रारंभ में वियना तथा तुविंगेन विश्वविद्यालयों में हुई किंतु उच्च शिक्षा ऑक्सफोर्ड तथा लंदन विश्वविद्यालयों में संपन्न हुई। शिक्षोपरांत वे भारत चले आए। सन् १८८९ से सन् १८९९ तक पंजाब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तथा लाहौर स्थित ओरिएंटल कालेज के प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया। भारत सरकार ने पुरातात्विक अनुसंधान एवं खोज के लिए इन्हें १९०० ई. में चीनी तुर्किस्तान भेज दिया। इस क्षेत्र में इन्होंने प्राचीन अवशेषों तथा बस्ती के स्थलों (settlement sites) का प्रचुर अनुसंधान किया। पुन: सन् १९०६ से १९०८ तक इन्होंने मध्य एशिया तथा पश्चिमी चीन के विभिन्न भागों में महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की। इनके अनुसंधानों से मध्य एशिया तथा समीपवर्ती भागों में मनुष्य के प्रारंभिक जीवन के विषय पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ा और जलवायु परिवर्तन संबंधी संभावनाओं के भी कुछ तथ्य सामने आए।

१९०९ ई. में इन्हें भारतीय पुरातत्व विभाग में सुपरिंटेंडेंट नियुक्त किया गया। १९१३-१६ ई. में वे ईरान तथा मध्य एशिया गए और पुरातात्विक एवं भौगोलिक खोज की। इन यात्राओं तथा अनुसंधानों एवं प्राप्त तथ्यों का वर्णन उन्होंने लंदन से प्रकाशित जियोग्रैफिकल जर्नल के १९१६ ई. वाले अंक में किया है। पुरातात्विक एवं भौगोलिक अनुसंधानों के लिए लंदन की रायल जियोग्रैफिकल सोसायटी ने इन्हें स्वर्णपदक से विभूषित किया।

कृतियाँ संपादित करें

इनकी रचनाओं में निम्नलिखित प्रमुख हैं -

  • (१) संस्कृत भाषा के सुप्रसिद्ध कश्मीरी कवि कल्हण द्वारा विरचित 'राजतरंगिणी अथवा कश्मीर के राजाओं के इतिहास का अंगरेजी अनुवाद (दो जिल्दें, १९०० ई.);
  • (२) 'प्राचीन खोतान' (दो जिल्दें, १९०३ ई.);
  • (३) 'काथे मरुभूमि के अवशेष' (२ जिल्दें, १९१२ ई.);
  • (४) 'सेरेंडिया' (पाँच जिल्दें १९२२ ई.);
  • (५) 'सहस्र' बुद्ध (The thousand Budhas 1921 ई.);
  • (६) 'अंतर्तम' (Innermost); एशिया (चार जिल्दें, १९२८ ई.);
  • (७) सिकंदर का सिंधु तक आगमनपंथ (On Alexander's track to Indus 1929 ई.);
  • (८) तुन हुआँग से संप्राप्त चित्रकारियों का संकलन (१९३१ ई.);
  • (९) गेड्रोशिया में पुरातात्विक भ्रमण (१९३१ ई.);
  • (१०) दक्षिण पूर्वी ईरान में पुरातात्विक वीक्षण (Reconneissances), १९३७ ई.);
  • (११) पश्चिमी ईरान को जानेवाले प्राचीन पथ (१९४० ई.)।